चीनी वीजा घोटाला : CBI के सामने पेश हुए कार्ति चिदंबरम, बोले- मेरे खिलाफ सारे मामले फर्जी
कार्ति चिदंबरम गुरुवार को चीनी वीजा के घोटाले मामले में अपना बयान दर्ज कराने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुख्यालय में यहां पेश हुए।
![]() चीनी वीजा घोटाला : CBI के सामने पेश हुए कार्ति चिदंबरम |
उन पर अन्य लोगों के साथ कथित तौर पर 263 चीनी नागरिकों को नियमों की धज्जियां उड़ाकर वीजा दिलाने में मदद करने का आरोप लगाया गया है।
कार्ति को बुधवार सुबह 11 बजे तक सीबीआई के सामने पेश होना था, लेकिन वह जांच में शामिल नहीं हुए। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उन्हें बाल कटवाने के लिए नाई की दुकान पर जाना पड़ा।
पूछताछ के दौरान उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया और कहा, मैंने एक भी चीनी नागरिक को वीजा दिलाने में मदद नहीं की है। सभी मामले फर्जी हैं। उन्होंने कहा, मेरे खिलाफ सब मामले फर्जी हैं और यह उनमें से सबसे बड़ा फर्जी मामला है।
कार्ति ने सीबीआई के मुख्यालय पहुंचने पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, यह प्रतिशोध की राजनीति है और मेरी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही हैं।
दिल्ली: कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम कथित वीजा घोटाला मामले में CBI मुख्यालय पहुंचे।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 26, 2022
कार्ति चिदंबरम ने कहा, "मैंने एक भी चीनी नागरिक को वीजा मिलने पर सम्मानित नहीं किया है।" pic.twitter.com/3DiojZDgMQ
उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट फिलहाल सीबीआई की हिरासत में है। उसका सामना कार्ति से होगा। सीबीआई ने अदालत से कहा था कि वे उसका कार्ति और अन्य आरोपियों से सामना करना चाहते हैं।
सीबीआई ने इस मामले में 65,000 ईमेल भी बरामद किए हैं जिन्हें सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
छापेमारी के दौरान बरामद बिक्री विलेख (सेल्स डिड) बहुत महत्वपूर्ण है। यह बिक्री विलेख जोर बाग में खरीदी गई संपत्ति का है और पावर ऑफ अटॉर्नी भास्कररमन के नाम है जबकि संपत्ति कार्ति और उनकी मां ने खरीदी थी।
इस सिलसिले में कार्ति चिदंबरम से पूछताछ की जाएगी।
प्राथमिकी के अनुसार, एक मनसा (पंजाब) स्थित निजी फर्म तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और कथित तौर पर चीनी नागरिकों के लिए वीजा जारी करने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया।
सीबीआई अधिकारी ने कहा कि, "मनसा (पंजाब) स्थित निजी फर्म 1,980 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया में थी और इसे एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स किया गया था। परियोजना अपने समय से पीछे चल रही थी। देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों, पेशेवरों को जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए लाने की कोशिश कर रही थी।"
अधिकारी ने कहा कि उक्त निजी कंपनी के प्रतिनिधि ने अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से चेन्नई स्थित एक व्यक्ति से संपर्क किया।
मनसा स्थित निजी कंपनी के उक्त प्रतिनिधि ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र प्रस्तुत कर इस कंपनी को आवंटित प्रोजेक्ट वीजा का पुन: उपयोग करने की मंजूरी मांगी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और अनुमति जारी की गई थी। तब कार्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम तब केंद्रीय गृह मंत्री थे।
चेन्नई स्थित उक्त निजी व्यक्ति द्वारा अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी, जिसे मानसा स्थित निजी कंपनी द्वारा भुगतान किया गया था।
यह आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनियों को वीजा दिलाने में मदद की।
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं।
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