'पीके की बिहार कांग्रेस प्रमुख बनने की इच्छा पर सहमति बनी, पर आखिरी मिनट में उन्होंने गोलपोस्ट बदल दिया'

Last Updated 28 Apr 2022 11:38:02 PM IST

कांग्रेस और प्रशांत किशोर (पीके) ने कई दौर की बातचीत के बाद रास्ते अलग कर लिए हैं, लेकिन पार्टी ने उनके 'तलाक' की असली वजह का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि इसका कारण है रणनीतिकार का 'आखिरी दिन आखिरी मिनट में गोलपोस्ट बदलना'।


प्रशांत किशोर (पीके)

सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने जब पीके को ठंडे बस्ते में डाल दिया, तब उन्होंने नेताओं जयराम रमेश और के.सी. वेणुगोपाल के माध्यम से राहुल गांधी से मुलाकात की।

बाद में राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मिलवाया, जिन्होंने उनके सुझावों को देखने के लिए एक समिति बनाई। शुरुआत में पीके गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों का प्रबंधन करना चाहते थे और बदले में उन्हें बिहार कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना था।

सोनिया गांधी और पार्टी के नेताओं ने उनकी शर्त पर सहमति व्यक्त की और यह भी कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के प्रबंधन के लिए टीम का हिस्सा बनें।

पीके ने तब एक प्रेजेंटेशन पर जोर दिया, जिस पर पार्टी के कुछ नेता सहमत थे, जबकि कुछ असहमत थे, लेकिन सभी का मानना था कि पीके ऑनबोर्ड हों। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जब कांग्रेस ने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप बनाने का विचार रखा, तो पीके पीछे हट गए और मांग की कि उन्हें सीधे पार्टी अध्यक्ष को रिपोर्ट करने वाले टीम लीडर का पद दिया जाए। कांग्रेस ने इससे इनकार कर दिया और उनकी सौहार्दपूर्ण ढंग से बिदाई कर दी गई।



कांग्रेस ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि चुनावी रणनीतिकार पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने 2024 के आम चुनावों के लिए एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है।

सोनिया गांधी द्वारा समिति के गठन की घोषणा के एक दिन बाद यह घोषणा की गई।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा : "प्रशांत किशोर के साथ एक प्रेजेंटेशन और चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने एक अधिकार प्राप्त कार्य समूह 2024 का गठन किया है और उन्हें परिभाषित जिम्मेदारी के साथ समूह के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हम पार्टी को दिए सुझावों के लिए उनकी सराहना करते हैं।"

किशोर ने अपनी ओर से कहा कि कांग्रेस को अपनी 'गहरी जड़ें वाली संरचनात्मक समस्याओं' को ठीक करने के लिए 'नेतृत्व' और 'सामूहिक इच्छाशक्ति' की जरूरत है।

उन्होंने ट्वीट किया : "मैंने ईएजी के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के उदार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।"

उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, "मेरी विनम्र राय है कि पार्टी को परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से गहरी जड़ें वाली संरचनात्मक समस्याओं को ठीक करने के लिए मुझसे अधिक नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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