अमर जवान ज्योति के वॉर मेमोरियल में विलय पर कांग्रेस का हमला, राहुल गांधी बोले- कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते

Last Updated 21 Jan 2022 12:07:19 PM IST

कांग्रेस ने अमर जवान ज्योति पर प्रज्‍जवलित चिरस्थायी ज्योति को बुझाने को लेकर सरकार पर हमला बोला है और आरोप लगाया है कि यह 'इतिहास को बुझाने जैसा है, और अपराध से कम नहीं है।'


इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की मशाल आज हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। शुक्रवार दोपहर इसका एक हिस्‍सा नैशनल वॉर मेमोरियल ले जाया जाएगा। वहां पर अमर चक्र में जल रही जवान ज्‍योति के साथ इसका विलय होगा।

सरल शब्दों में कहें तो इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति की हमेशा जलती रहने वाली मशाल अब 50 साल बाद हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। अब यह मशाल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वॉर मेमोरियल) की मशाल के साथ मिला दी जाएगी। यानी अब नेशनल वॉर मेमोरियल में ही ज्वाला जलेगी।

इस कदम का कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष व लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने कड़ा विरोध किया है।

 

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, "अमर जवान ज्योति को बुझाना इतिहास को बुझाने के समान है, क्योंकि यह उन 3,483 बहादुर सैनिकों के बलिदान का अपमान करता है, जिन्होंने पाकिस्तान को 02 भागों में विभाजित किया और विभाजन के बाद दक्षिण एशिया के नक्शे को फिर से बनाया।"

उन्होंने कहा कि अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय चेतना में व्याप्त है और एक अरब लोग इसे पूजते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "भारत में दो शाश्वत ज्वाला क्यों नहीं हो सकती? अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक।"



उन्होंने कहा, "सेंट्रल विस्टा का पुनर्विकास करना ठीक था, लेकिन इंडिया गेट पर शाश्वत लौ को बुझाना किसी अपराध से कम नहीं है। मुझे आश्चर्य है कि राष्ट्र चुप है क्योंकि इतिहास को फिर से लिखने की परियोजना में एक राष्ट्रीय प्रतीक को हटा दिया जाएगा।"


इंडिया गेट पर लगी शाश्वत ज्वाला को 50 साल बाद शुक्रवार को बुझा दिया जाएगा।

अमर जवान ज्योति के रूप में जानी जाने वाली शाश्वत ज्वाला 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाई गई थी।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सभी सैनिकों और गुमनाम नायकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आजादी के बाद से देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

यह इंडिया गेट परिसर के पास ही 40 एकड़ में फैला हुआ है। यह 1962 में भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक के बीच हुए 1947, 1965, 1971 और 1999 कारगिल युद्धों दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों को समपर्ति है। इसके साथ ही यह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन के दौरान और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के दौरान शहीद हुए सैनिकों को भी समर्पित है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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