केंद्रीय मंत्री ने जाति आधारित उपनाम छोड़ने का आग्रह किया

Last Updated 06 Dec 2021 10:33:50 PM IST

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री कौशल किशोर ने सोमवार को कहा कि जाति के टैग वाले उपनामों को किसी के नाम से हटा दिया जाना चाहिए, हालांकि यह कई लोगों के लिए कठिन है, लेकिन कम से कम जो लोग डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा में विश्वास करते हैं, उन्हें यह अभ्यास शुरू करना चाहिए।


केंद्रीय मंत्री ने जाति आधारित उपनाम छोड़ने का आग्रह किया

मंत्री ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में महापरिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस संबंध में संसद के समक्ष एक प्रस्ताव रख चुके हैं।

उन्होंने कहा, "जो लोग बाबा साहेब का सम्मान करते हैं, वे जाति और रंग के आधार पर दूसरों को नहीं आंकते हैं।"

उन्होंने कहा कि अस्पृश्यता के सामाजिक संकट को मिटाने के लिए बाबा साहेब के किए महान कार्यो के कारण उन्हें बौद्धगुरु माना जाता था। अंबेडकर के प्रशंसक और अनुयायी मानते हैं कि वह भगवान बुद्ध के समान प्रभावशाली थे, यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित एक विशेष पुस्तक का विमोचन किया, जिसका नाम 'सोशल जस्टिस एंड इम्पावरमेंट : रिफ्लेशंस फ्रॉम डॉ. अंबेडकर चेयर्स' है।

डॉ. कुमार ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब के जीवन से संबंधित पांच महत्वपूर्ण स्थानों को पंचतीर्थ घोषित किया है, इन पांच स्थानों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ.अंबेडकर फाउंडेशन द्वारा एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण किया गया है, जिसे महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में और अन्य स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा।"



उन्होंने डॉ. अम्बेडकर के पंचतीर्थो पर एक ब्रॉशर और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए योजनाओं और छात्रवृत्ति का विवरण भी जारी किया।

मंत्रालय ने अगले 5 वर्षो में 24,800 मेधावी अनुसूचित जाति के छात्रों को सहायता देने का फैसला किया है। शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों और राष्ट्रीय औसत पर अनुसूचित जाति समुदाय की आबादी वाले जिलों के प्रतिष्ठित निजी आवासीय स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्रदान करने पर लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

डॉ. वीरेंद्र कुमार ने क्षेत्र-आधारित विकास दृष्टिकोण को सक्षम करने की दृष्टि से फैलोशिप प्रबंधन और शिकायत निवारण पोर्टल सॉफ्टवेयर भी लॉन्च किया। इस पहल का उद्देश्य अनुसूचित जाति बहुल गांवों का एकीकृत विकास करना है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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