वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने टास्क फोर्स का किया गठन
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के एक दिन बाद, दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निदेर्शों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया है।
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दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है। प्रदूषण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से 24 घंटे के भीतर योजना बताने को कहा है। आज फिर इस मामले पर सुनवाई होगी।
वहीं, सुनवाई से पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निदेर्शों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया है।
आयोग के निदेशक ने एक हलफनामे में कहा, "यह प्रस्तुत किया गया है कि अब 2 दिसंबर के आदेश के अनुसार, 17 उड़न दस्ते का गठन किया गया है जो सीधे आयोग के प्रवर्तन कार्य बल को रिपोर्ट करेंगे और गैर-अनुपालन/ चूक करने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक और निवारक उपाय करने का प्रवर्तन कार्य बल स्वयं शक्तियों का प्रयोग करेंगे।"
आयोग ने प्रस्तुत किया कि अगले 24 घंटों में उड़न दस्तों की संख्या बढ़ाकर 40 कर दी जाएगी और दस्ते 2 दिसंबर से पहले से ही चालू हैं और उन्होंने 25 स्थलों पर औचक निरीक्षण किया है।
हलफनामा जोड़ा गया कि केंद्र ने यह भी उद्धृत किया कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में 11 थर्मल पावर प्लांटों में से केवल 5 को 15 दिसंबर तक संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
वहीं, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर शहर के अस्पतालों में निर्माण कार्यों की अनुमति मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कुछ पुराने अस्पतालों में बुनियादी ढांचे तैयार करना शुरू कर दिया था।
इसके अलावा सात नए अस्पतालों का भी निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन प्रदूषण बढ़ने के कारण निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। इस बीच फिर से कोरोना के नए वैरिएंट ने दहशत का माहौल बना दिया है। ऐसे में दिल्ली के अस्पतालों स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना जरूरी हो गया है। शीर्ष अदालत से निर्माण कार्यों की अनुमति देने का आग्रह करते हैं।
आयोग ने दिल्ली के 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे द्वारा दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण के बारे में चिंता जताते हुए एक मामले में हलफनामा दायर किया।
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