जम्मू-कश्मीर पर OHCHR की टिप्पणी पूर्वाग्रह से ग्रस्त

Last Updated 03 Dec 2021 03:17:52 AM IST

भारत ने बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ‘ओएचसीएचआर’ पर जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियों के लिए निशाना साधते हुए कहा कि यह सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की समझ की पूरी कमी को दर्शाता है।


पुंछ : जिले के मेंढर इलाके में गश्त करते पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान।

विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं, न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। बागची की टिप्पणी जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी की घटना पर मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) के प्रवक्ता द्वारा दिए गए एक बयान के जवाब में आई है।

उन्होंने कहा, हमने जम्मू कश्मीर में विशिष्ट घटनाओं पर मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) के प्रवक्ता के बयान को देखा है। बयान में कानून लागू करने वाले अधिकारियों और भारत के सुरक्षा बलों के खिलाफ ‘निराधार और बेबुनियाद’ आरोप लगाए गए।

ओएचसीएचआर के प्रवक्ता रूपर्ट कॉलविल ने बुधवार को परवेज की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की और जम्मू कश्मीर में नागरिकों के मारे जाने की हालिया घटनाओं की ‘शीघ्र, गहन, निष्पक्ष’ जांच कराए जाने की मांग की। कॉलविल ने एक बयान में कहा, भारतीय आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी से हम बहुत चिंतित हैं।

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी की टिप्पणियों को खारिज करते हुए बागची ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता के साथ भारत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।

उन्होंने कहा, यह ओएचसीएचआर की ओर से सीमा पार आतंकवाद से भारत के समक्ष सुरक्षा चुनौतियों और जम्मू कश्मीर सहित हमारे नागरिकों के सबसे मौलिक मानव अधिकार, ‘जीवन के अधिकार’ पर इसके प्रभाव के बारे में पूरी तरह से समझ की कमी को भी दर्शाता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को ‘सशस्त्र समूहों’ के रूप में वर्णित करना ओएचसीएचआर की ओर से एक स्पष्ट पूर्वाग्रह दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि किसी लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिबद्धता के साथ, भारत सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता है।

बागची ने कहा कि भारत की संप्रभुता की रक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाए गए थे। उन्होंने कहा, बयान में वर्णित व्यक्ति की गिरफ्तारी और उसके बाद की हिरासत पूरी तरह से कानून के प्रावधानों के अनुसार की गई।

भाषा
नई दिल्ली


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