कॉप26 भारत के दृष्टिकोण से सफल रहा : भूपेंद्र यादव

Last Updated 14 Nov 2021 08:17:30 PM IST

ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क (यूएनएफसीसीसी) के पार्टियों के सम्मेलन (कॉप26) के 26वें सत्र के समापन के कुछ घंटों बाद भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत ने अपनी बात रखी और यह शिखर सम्मेलन भारत के दृष्टिकोण से एक सफल रहा।


पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव

शनिवार मध्यरात्रि में कॉप26 के समापन के बाद यादव ने रविवार को कॉप डायरी के तहत अपने ब्लॉग प्रविष्टि में लिखा, "भारत ने विकासशील दुनिया की चिंताओं और विचारों को काफी संक्षिप्त और स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। भारत ने मंच पर एक रचनात्मक बहस और न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाधान का मार्ग प्रस्तुत किया।"

उन्होंने कहा कि कॉप26 में उठाए गए मुद्दों पर सर्वसम्मति रही।

पिछले कुछ घंटों के दौरान, कुछ ही मिनटों में, भारत के हस्तक्षेप पर कॉ26 के एजेंडे में कुछ शब्दों को बदल दिया गया, जिससे थोड़ी आलोचना हुई, यह जिक्र करते हुए यादव ने अपने ब्लॉग प्रविष्टि में दोहराया, "जीवाश्म ईंधन और उनके उपयोग ने दुनिया के कुछ हिस्सों को विकास के ऊंचे स्तर को छूने में सक्षम बनाया है। अब भी विकसित देशों ने कोयले का उपयोग पूरी तरह समाप्त नहीं किया है। यूएनएफसीसीसी जीएचजी उत्सर्जन को सभी स्रोतों से कम करने के लिए कहता है। किसी विशेष स्रोत की बात नहीं कहता।"

उन्होंने कहा, "विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपना उचित हिस्सा पाने का अधिकार है और वे इस दायरे में जीवाश्म ईंधन का जिम्मेदारी से उपयोग करने के हकदार हैं।"

कॉप26 के पहले दिन उच्चस्तरीय खंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को याद करते हुए यादव ने कहा, "भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि वर्तमान जलवायु संकट मुख्य रूप से विकसित देशों में अस्थिर जीवनशैली और बेकार खपत पैटर्न से उपजी है। दुनिया को इस वास्तविकता के प्रति जगाने की जरूरत है।"

यह उल्लेख करते हुए कि भारत ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए किस तरह से बात की, उन्होंने 'पंचामृत' या उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री द्वारा पेश किए गए पांच सूत्री जलवायु एजेंडे का हवाला दिया। अन्य महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में मोदी ने घोषणा की थी कि भारत 2070 में शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उदाहरण के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई), और वन सन, वन वल्र्ड, वन सन ग्रिड पहल (ओसोवोग) जैसे मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों को भी याद किया।

मंत्री ने जलवायु वित्त के मुद्दों को सूचीबद्ध किया, जिसमें नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्यों पर एक कार्य कार्यक्रम, विकासशील देशों के लिए बेहतर पारदर्शिता ढांचे के लिए समर्थन, अनुच्छेद 6 नियम पुस्तिका और भारत की उपलब्धियों के रूप में कॉप26 वार्ता में अनुकूलन और सामान्य समय सीमा शामिल हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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