सरकार का 100 संपदाओं के मौद्रिकरण का लक्ष्य: मोदी

Last Updated 24 Feb 2021 10:52:40 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार मौद्रिक रण और आधुनिकरण के मंत्र पर आगे बढ़ रही है और इसी क्रम में ऑयल, गैस, पोर्ट, एयरपोर्ट, पॉवर, जैसे क्षेत्रों करीब 100 संपदाओं का मौद्रिकरण का लक्ष्य रखा गया है। इससे 2.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने निजीकरण और संपदा मौद्रिक रण पर वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सरकार के नियांण में बहुत सारे क्षमता से कम उपयोग और अनुपयोगी संपदा है। इसी सोच के साथ नेशनल एसेट मोनेटाइज पाइपलाइन की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि संपदाओं का मौद्रिकरण की प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।

विनिवेश और मौद्रिक रण को अहम पहलू बताते हुए उन्होंने कहा कि जब देश में सरकारी उपक्रम शुरू किए गए थे, तो समय अलग था और देश की जरूरतें भी अलग थीं। जो नीति 50-60 साल पहले के लिए सही थी, उसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है। आज जब हम ये सुधार कर रहे हैं तो हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य यही है कि सरकारी राशि का सही उपयोग हो।

उन्होंने कहा कि कई ऐसे पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज हैं जो घाटे में हैं। इनमें से कई को करदाताओं द्वारा चुकाए गए कर द्वारा सपोर्ट करना पड़ता है। एक प्रकार से, जो गरीब के हक का है, आकांक्षाओं से भरे युवाओं के हक का है, उन पैसों को इन इंटरप्राइजेज के कामों में लगाना पड़ता है और इस कारण अर्थव्यवस्था पर भी बहुत प्रकार का बोझ पड़ता है। सरकारी उपक्रमों  को सिर्फ इसलिए ही नहीं चलाते रहना है, क्योंकि वो इतने वर्षों से चल रहे हैं ।

श्री मोदी ने कहा कि ‘व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है’ और उनकी सरकार रणनीतिक क्षेत्रों में कुछ सार्वजनिक उपक्रमों को छोड़कर बाकी क्षेत्रों के उपक्रमों का निजीकरण करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा,‘‘सरकारी कंपनियों को केवल इसलिए नहीं चलाया जाना चाहिए कि वे विरासत में मिली हैं।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रुग्ण सार्वजनिक उपक्रमों को वित्तीय समर्थन देते रहने से अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है।

श्री मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर आयोजित वेबीनार में कहा कि बजट 2021-22 में भारत को ऊंची वृद्धि की राह पर ले जाने के लिए स्पष्ट रूपरेखा बनाई गई है। उन्होंने कहा कि कई सार्वजनिक क्षेा के उपक्रम घाटे में हैं, कइयों को करदाताओं के पैसे से मदद दी जा रही है। रुग्ण सार्वजनिक उपक्रमों को वित्तीय समर्थन से अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है, सरकारी कंपनियों को केवल इसलिए नहीं चलाया जाना चाहिए कि वे विरासत में मिली हैं।

उन्होंने कहा व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं, सरकार का ध्यान जन कल्याण पर होना चाहिए. सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों को बाजार में चढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाये जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा सरकार मौद्रिकरण, आधुनिकीकरण पर ध्यान दे रही है। निजी क्षेा से दक्षता आती है, रोजगार मिलता है। निजीकरण, संपत्ति के मौद्रिकरण से जो पैसा आएगा उसे जनता पर खर्च किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि रणनीतिक महत्व वाले चार क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेा की कंपनियों को कम से कम स्तर पर रखा जायेगा।

श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार 111 लाख करोड़ रुपये की नयी राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पाइपलाइन (सूची) पर काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब एक बाजार, एक कर पण्राली वाला देश है, कर प्रणाली को सरल बनाया गया है, अनुपालन जटिलताओं में सुधार लाया गया है।

वार्ता
नयी दिल्ली


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