हर थाने में लगाए जाएं सीसीटीवी कैमरे : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 03 Dec 2020 05:24:04 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने देश के हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं। पुलिस थानों के अलावा सीबीआई, एनआईए, ईडी, डीआरआई आदि के दफ्तरों में भी सीसीटीवी कैमरे जरूरी कर दिए गए हैं।


हर थाने में लगाए जाएं सीसीटीवी कैमरे : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, केएम जोसेफ और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सीसीटीवी कैमरे लगाने के 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल न करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकारा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ढाई साल पहले ही हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। छह सप्ताह में बताया जाए कि सरकार किस तरह कैमरे लगाएगी और फंड की क्या व्यवस्था की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर थाने के प्रवेश और निकास द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के अलावा हवालात, बरामदों, इंस्पेक्टर तथा सब-इंस्पेक्टर के कक्षों, वाशरूम और बाथरूम में भी कैमरे लगाए जाएं।

पुलिस थानों में हिरासत में मौत या चोट की शिकायत मिलने पर फरियादी मानवाधिकार आयोग या मानवाधिकार अदालतों में सीसीटीवी फुटेज की मांग कर सकता है। मानवाधिकार अधिनियम के तहत हर जिले में एक कोर्ट का गठन होना है। राज्य मानवाधिकार आयोग या कोर्ट शिकायत मिलने पर तुरंत सीसीटीवी फुटेज तलब कर सकता है। जांच एजेंसी को यह फुटेज अदालत या आयोग को उपलब्ध करानी होगी। पुलिस स्टेशनों के अलावा सीबीआई के देशभर में फैले दफ्तरों, एनआईए, ईडी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), डीआरआई, एसएफआईओ तथा ऐसी सभी एजेंसियों जिन्हें गिरफ्तारी और पूछताछ का अधिकार है, सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह जांच एजेंसियां अधिकतर अपने कार्यालयों में पूछताछ करती हैं, यहां सीसीटीवी लगाना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उसने तीन अप्रैल 2018 को शफी मोहम्मद बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार मामले में सीसीटीवी के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। सेंट्रल ओवरसाइट बॉडी (सीओबी) और स्टेट लेवल ओवरसाइट बॉडी (एसएलओबी) के गठन का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने इसका गठन तो कर दिया लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा। सिर्फ 14 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके थोड़ी बहुत जानकारी दी है। हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि राज्यों में कितने थानों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। ढाई साल पहले ही सरकार को बता दिया गया था कि सीसीटीवी कैमरे लगाने और उन पर नजर रखने के लिए ओवरसाइट बॉडी का गठन किया जाए, ताकि हिरासत में मौत या हिंसा होने पर सीसीटीवी कैमरा खराब होने का बहाना न बनाया जा सके। थाना प्रभारी को हर माह की रिपोर्ट एसएलओबी को भेजने के लिए बाध्य किया गया है। ढाई साल पुराने दिशानिर्देश जारी रहेंगे और राज्य सरकार तथा केंद्र को इस पर अमल करना होगा। संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है कि उसे पुलिस स्टेशन के अंदर हुई कार्रवाई की जानकारी दी जाए।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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