ठोस फार्मूले के अभाव में वार्ता हुई असफल, किसानों का ऐलान, जारी रहेगा आंदोलन

Last Updated 02 Dec 2020 12:58:58 AM IST

ठोस फार्मूले के अभाव में सरकार और किसानों की तीसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। किसान नेताओं ने बैठक में पहले की तरह कृषि कानूनों पर सरकार को कोसा और दोनों पक्षों की समिति के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया।


बैठक में शामिल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व रेल व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, किसान नेता और अधिकारीगण।

सरकार ने 3 दिसम्बर को फिर से बैठक करने की बात कही जिस पर किसान नेताओं ने कहा कि वह पक्ष में फैसला होने तक बातचीत और सड़क पर धरना दोनों जारी रखेंगे। किसान नेताओं ने बैठक के दौरान सरकार की चाय का भी बहिष्कार किया,जिससे पता चलता है कि अंदर बहुत अच्छा माहौल नहीं रहा।

बैठक में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर,रेल व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भाग लिया। वहीं किसान संगठनों के 35 नेता जिनमें बलवीर सिंह राजोवाल,जगजीत सिंह दल्लेवाल ,जोगिंदर सिंह उग्रहाना के साथ-साथ इस बार हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, हनान मौला और मध्य प्रदेश के किसान नेता शिवकुमार कक्काजी भी शामिल हुए।  

खामियों का पुलिंदा आज सरकार को सौंपेंगे किसान
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बुधवार को किसान नेता कृषि कानूनों की खामियों की सूची बनाकर सरकार को सौंपेंगे। सरकार से वार्ता करने वाले किसान संगठनों के इस मोर्चे ने कहा कि किसानों का सरकार के प्रति भरोसा नहीं है और प्रधानमंत्री की किसानों के प्रति नीति और नीयत ठीक नहींं है।

किसान नेताओं ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों के लिए सरकार से मुआवजे की भी मांग की है। किसान नेता बलवीर सिंह राजोवाल ने कहा कि कृषि कानून आंदोलन को शांतिपूर्ण चलाना हमारी जिम्मेदारी है। वहीं शिव कुमार कक्काजी ने कहा कि  ये कानून किसानों की मौत के फरमान हैं।

बातचीत अच्छे माहौल में हुई आगे और चर्चा होगी : तोमर
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत अच्छे माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने दोनों पक्षों के साथ-साथ विशेषज्ञों को शामिल करके भी एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा जिस पर किसान नेताओं ने कहा कि उनके सभी व्यक्ति बातचीत करेंगे, सरकार को इससे भी कोई ऐतराज नहीं है।

कृषि मंत्री ने कहा कि आगे 3 दिसम्बर को जब फिर दोनों पक्ष बैठेंगे तो किसान नेता भी और तैयारी करके आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और वह उनसे हर समय बातचीत के लिए तैयार है।

कृषि मंत्री ने फिर किसान नेताओं से आंदोलन स्थगित करने की अपील की और कहा कि वे वार्ता को आगे आएं पर साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसका फैसला किसान यूनियन और किसानों पर निर्भर करता है।


 

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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