BJP नेता ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- समान नागरिक संहिता से होंगे ये 11 लाभ

Last Updated 23 Nov 2020 04:54:48 PM IST

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता बनाने की मांग की है।


भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा है कि आज ही के दिन 23 नवंबर 1948 को विस्तृत चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 44 जोड़ते हुए सरकार को निर्देश दिया गया कि वह देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करे। लेकिन अनुच्छेद 44 लागू करने के लिए कभी भी गंभीर प्रयास नहीं किया गया। आजतक 'भारतीय नागरिक संहिता' का एक मसौदा भी नहीं बनाया गया। परिणामस्वरूप इससे होने वाले लाभ के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है।

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने समान नागरिक संहिता बनने पर 11 तरह के लाभ गिनाए हैं।

उन्होंने कहा है कि यह विषय मानव अधिकार से सम्बन्धित हैं जिनका न तो धर्म या मजहब से संबंध है और न तो इन्हें धार्मिक मजहबी व्यवहार कहा जा सकता है फिर भी आजादी के 73 साल बाद भी धर्म-मजहब के नाम पर भेदभाव जारी है। हमारे संविधान निमार्ताओं ने अनुच्छेद 44 के माध्यम से 'भारतीय नागरिक संहिता' की कल्पना की थी ताकि सबको समान अधिकार मिले और देश की एकता और अखंडता मजबूत हो लेकिन वोटबैंक की राजनीति के कारण भारतीय नागरिक संहिता आजतक लागू नहीं किया गया। यदि गोवा में एक समान नागरिक संहिता सबके लिए लागू हो सकती है तो देश के सभी नागरिकों के लिए एक 'भारतीय नागरिक संहिता' क्यों नहीं लागू हो सकती है?

अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक, इससे होने वाले 11 लाभ इस प्रकार हैं :

1- देश के सभी नागरिकों के लिए एक 'भारतीय नागरिक संहिता' लागू करने से देश और समाज को सैकड़ों जटिल कानूनों से मुक्ति मिलेगी।

2- वर्तमान समय में अलग-अलग धर्म के लिए लागू अलग-अलग ब्रिटिश कानूनों से सबके मन में हीन भावना पैदा होती है इसलिए सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक 'भारतीय नागरिक संहिता' लागू होने से सबको हीन भावना से मुक्ति मिलेगी।

3- 'एक पति-एक पत्नी' की अवधारणा सभी भारतीयों पर एक समान रूप से लागू होगी और बाझपन या नपुंसकता जैसे अपवाद का लाभ सभी भारतीयों को चाहे वह पुरुष हो या महिला, हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या इसाई, एक समान रूप से मिलेगा।

4- न्यायालय के माध्यम से विवाह-विच्छेद करने का एक सामान्य नियम सबके लिए लागू होगा। विशेष परिस्थितियों में मौखिक तरीके से विवाह विच्छेद करने की अनुमति भी सभी नागरिकों को होगी, चाहे वह पुरुष हो या महिला, हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या इसाई।

5- पैतृक संपति में पुत्र-पुत्री तथा बेटा-बहू को एक समान अधिकार प्राप्त होगा और संपति को लेकर धर्म जाति क्षेत्र और लिंग आधारित विसंगति समाप्त होगी, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या इसाई।

6-
विवाह-विच्छेद की स्थिति में विवाहोपरांत अर्जित संपति में पति-पत्नी को समान अधिकार होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या इसाई।

7- वसीयत, दान, धर्मजत्व संरक्षकत्व बंटवारा, गोद इत्यादि के संबंध में सभी भारतीयों पर एक समान कानून लागू होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या ईसाई। धर्म जाति क्षेत्र लिंग आधारित विसंगति समाप्त होगी।

8- राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र एवं एकीकृत कानून मिल सकेगा और सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या ईसाई।

9-
जाति धर्म क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग कानून होने से पैदा होने वाली अलगाववादी मानसिकता समाप्त होगी और एक अखण्ड राष्ट्र के निर्माण की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ सकेंगे।

10- अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून होने के कारण अनावश्यक मुकदमेबाजी में उलझना पड़ता है। सबके लिए एक नागरिक संहिता होने से न्यायालय का बहुमूल्य समय बचेगा।

11- मूलभूत धार्मिक अधिकार जैसे पूजा, नमाज या प्रार्थना करने, व्रत या रोजा रखने तथा मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा का प्रबंधन करने या धार्मिक स्कूल खोलने, धार्मिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करने या विवाह-निकाह की कोई भी पद्धति अपनाने या मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार के लिए कोई भी तरीका अपनाने में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होगा।

आईएएनएस
नयी दिल्ली


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