विपक्ष राष्ट्रपति के द्वार, संसद से पारित कृषि विधेयकों को मंजूर न करने और वापस भेजने की लगाई गुहार
संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों का विरोध अब तेज होता जा रहा है। पूरा विपक्ष इनके विरोध को लेकर लामबंद हो गया है।
संसद परिसर में आजाद व अन्य नेताओं ने बिल के विरोध में मार्च किया। |
विपक्षी दलों के सभी सांसदों ने बुधवार को भी संसद भवन परिसर में इन विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा। इसके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कई विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर इन विधेयकों पर अपनी संस्तुति न देने और इन्हें वापस भेजने की गुहार लगाई है।
वहीं देशभर के किसान संगठन भी इनके विरोध को लेकर सड़कों पर हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को इन विधेयकों के विरोध में अनेक राजनीतिक दलों और किसान-मजदूर संगठनों ने रैलियां निकालीं और प्रदर्शन किये। कई किसान संगठनों ने पहले ही 25 सितम्बर को भारत बंद और चक्का जाम करने की घोषणा की हुई है।
विपक्ष का कृषि विधेयकों के विरोध में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हाल ही में पारित कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर बुधवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया।
विपक्षी दलों के कई राज्यसभा सदस्यों ने दोपहर के समय संसद परिसर में मौन प्रदर्शन किया तो शाम के समय विपक्ष के कई लोकसभा सदस्यों ने प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन कर रहे सांसद हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिन पर ‘किसानों को बचाओ, मजदूरों को बचाओ, लोकतंत्र को बचाओ’ जैसे नारे लिखे थे।
विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा के विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा से भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तक मार्च निकाला। वे कुछ देर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कतारबद्ध होकर खड़े हुए।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, सपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और शशि थरूर, द्रमुक के टीआर बालू एवं कनिमोई और कई अन्य दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया।
असंवैधानिक तरीके से पारित किए बिल : आजाद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपने के बाद कहा कि संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को असंवैधानिक तरीके से पारित किया गया है इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संस्तुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए।
उन्होंने यह दावा भी किया कि रविवार को राज्यसभा में हंगामे के लिए विपक्ष नहीं, बल्कि सरकार जिम्मेदार है। बिल पारित करने के दौरान संविधान, नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई गईं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी ने कहा कि वह हमारी ओर से रखी गई बातों पर गौर करेंगे। उनके मुताबिक, किसानों से संबंधित विधेयकों को सब लोगों से बातचीत करने के बाद लाना चाहिए था। सभी राजनीतिक दलों और किसानों के नेताओं से बातचीत करके ऐसा कानून लाना चाहिए था। ऐसा करने से किसान खुश होता।
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