श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत : गंगवार
श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आज कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत बन गया था और इससे जुड़े तीन विधेयक श्रम कल्याण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार |
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 को लोकसभा में विचार के लिए प्रस्तुत करते हुये श्री गंगवार ने कहा कि आजादी के बाद से काम करने के तरीके, माहौल, रोजगार के स्वरूप आदि में अप्रत्याशित बदलाव आ चुके हैं। लोगों ने कभी घर से काम करने के बारे में सोचा नहीं था। यह कल्पना भी नहीं की गई थी कि एक व्यक्ति एक से अधिक नियोक्ताओं के लिए भी काम कर सकता है। इन बदली परिस्थितियों को आधुनिक बदलावों और भविष्य को ध्यान में रखते हुये श्रम कानूनों को उसके अनुरूप बनाना जरूरी हो गया था। श्रम मंी ने उम्मीद जताई कि ये संहिताएं श्रमिक कल्याण की प्राप्ति के उद्देश्य में मील का पत्थर साबित होंगी।
उन्होंने कहा कि 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेट रही है। इसमें पारिश्रमिक संबंधी संहिता को पहले ही संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इन संहिताओं को श्रमिक संगठनों, कर्मचारी संघों, राज्य सरकारों और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है। पिछले साल इन तीनों संहिताओं को लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। समिति की 233 अनुशंसाओं में से 76 प्रतिशत को स्वीकार करते हुये अब नये सिरे से तीनों संहिताओं को सदन के समक्ष लाया गया है। उन्होंने बताया कि इन संहिताओं से श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत किया जा सकेगा और उद्योग चलाने के लिए अनुपालना आसान होगी।
श्री गंगवार ने कहा कि इन संहिताओं के प्रभावी होने के बाद लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी। सभी श्रमिकों को नियुक्ति पा देना अनिवार्य होगा। प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को व्यापक बनाया जायेगा ताकि दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले सभी श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं के पा बन सकें। नयी श्रेणी के श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जायेगा।
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