विमान वाहक पोत 'विराट' अपनी आखिरी यात्रा पर रवाना

Last Updated 19 Sep 2020 06:54:02 PM IST

भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत आईएनएस विराट सेवानिवृत्त होने के बाद गुजरात में अलंग बंदरगाह के लिए अपनी आखिरी यात्रा पर रवाना हो चुका है।


अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड में देश का सबसे बड़ा यार्ड है, यहां सभी पुराने जहाजों को तोड़ा जाता है। यह जानकारी अधिकारियों ने शनिवार को दी। तत्कालीन ब्रिटेन निर्मित जहाज ने 22,58 दिनों तक समुद्र में रहकर भारतीय नौसेना की सेवा की और 590,000 समुद्री मील और 22,622 घंटे देश की सेवा में उड़ान संचालन को कवर किया।

नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि अपनी अंतिम यात्रा पर दो अन्य जहाजों को लेकर वह करीब 3 दिनों में अलंग पोर्ट पहुंच जाएगा।

एमएसटीसी लिमिटेड द्वारा की गई एक नीलामी में इस जहाज को गुजरात के श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 38.50 करोड़ रुपये में खरीदा गया।

इसे पहले 'एचएमएस हर्मिस' के रूप में जाना जाता था, इसने नवंबर 1959 से अप्रैल 1984 तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी।

साल 1974 में ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स ने 'एचएमएस हर्मिस' पर सवार 845 नेवल एयर स्क्वाड्रन उड़ाए थे।

बाद में इसे भारतीय नौसेना में अपने दूसरे विमान वाहक पोत, 'आईएनएस विराट' के रूप में मई 1987 में व्यापक नवीनीकरण और अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के बाद शामिल किया गया था।

दशकों तक सराहनीय सेवा के बाद भारतीय नौसेना ने आखिरकार मार्च 2017 में उसे सेवानिवृत्त कर दिया और तब से यह नौसेना डॉकयार्ड में था।

करीब 1,500 क्रू दल के साथ वह लड़ाकू-तैयार हवाई जहाजों और हेलीकाप्टरों का एक बड़ा भार उठा सकता था। इसने अक्टूबर 2001-जुलाई 2002 में ऑपरेशन पराक्रम में भाग लिया, 18 जुलाई से 17अगस्त, 1989 तक श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में भाग लिया, और अपने लंबे समुद्री करियर में उसने कई अन्य असाधारण उपलब्धियां हासिल की थीं।
 

आईएएनएस
मुंबई


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