सीबीएसई के सिलेबस से खास विषयों को हटाए जाने की बातें झूठ के अलावा कुछ नहीं : निशंक
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम से कुछ टॉपिक्स हटाये जाने को लेकर मनगढ़ंत टिप्पणियां कर गलत विमर्श का प्रसार किया जा रहा है।
![]() केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल (फाइल फोटो) |
कोरोना महामारी को देखते हुए कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के सिलेबस में कटौती की गई है। सीबीएसई ने पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है। यह कटौती केवल मौजूदा शैक्षणिक वर्ष तक सीमित रहेगी। हालांकि अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है।
दिल्ली सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीएसई के इस कदम पर प्रश्न उठाए हैं। विभिन्न लोगों और राज्य सरकारों द्वारा प्रश्न खड़े किए जाने के बाद अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपना पक्ष रखा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, सिलेबस में कटौती को लेकर बिना जानकारी के कई तरह की बातें कही जा रही हैं। ये मनगढ़ंत बातें केवल सनसनी फैलाने के लिए की जा रही हैं। शिक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए, शिक्षा से इसे दूर ही रखना चाहिए।
मंत्री का यह बयान कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पैदा हुए हालात के चलते सीबीएसई के पाठ्यक्रम को कम करने संबंधी विवाद के बीच आया है। विपक्ष का आरोप है कि एक खास तरह की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए भारत के लोकतंत्र और बहुलतावाद संबंधी पाठों को ‘‘हटाया’’ जा रहा है।
निशंक ने इस संबंध में कई ट्वीट किए।
उन्होंने लिखा,‘‘सीबीएसई के पाठ्यक्रम में कुछ टॉपिक्स को हटाये जाने के बारे में बहुत सी मनगढंत टिप्पणियां की जा रही हैं। इन टिप्पणियों के साथ समस्या यह है कि वे गलत विमर्श को फैलाने के लिए चुनिंदा विषयों को जोड़कर सनसनीखेज बना रहे हैं।’’
#CBSE सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है।
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
उन्होंने कहा,‘‘राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार ,संघवाद आदि तीन-चार टॉपिक्स को छोड़े जाने का गलत मतलब निकाल कर मनगढंत विमर्श बनाना आसान है,विभिन्न विषयों को व्यापक तौर पर देखा जाए तो दिखाई देगा कि सभी विषयों में कुछ चीजों को छोड़ा गया है।’’
मंत्री ने दोहराया कि पाठ्यक्रम में टॉपिक्स को छोड़ना कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर उठाया गया कदम हैं।
उन्होंने कहा,‘‘ जैसा कि सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को एनसीईआरटी वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करने की सलाह दी गई है, और उक्त सभी टॉपिक्स को उसके तहत लाया गया है। कोविड-19 महामारी के कारण उठाया गया यह एक बार का कदम है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ इसका एकमात्र उद्देश्य सिलेबस को 30 प्रतिशत तक कम करके छात्रों के तनाव को कम करना है। यह कदम हमारे ‘‘सिलेबसफॉरस्टूडेंट्स 2020’’ अभियान के माध्यम से शिक्षाविदों से प्राप्त सुझावों पर विचार करके और विभिन्न विशेषज्ञों की सलाह और सिफारिशों पर उठाया गया है।’
अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हमारा परम कर्तव्य है। आइए हम शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और अपनी राजनीति को और शिक्षित बनाएं। यह हमारा विनम्र निवेदन है।
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
मंत्री ने ‘‘शिक्षा को राजनीति से दूर ’’ रखने की भी अपील की।
पाठ्यक्रम में सीबीएसई द्वारा की गई इस कटौती का असर 11वीं कक्षा में पढ़ाए जाने जाने वाले संघीय ढांचा, राज्य सरकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे अध्यायों पर दिखेगा। सीबीएसई ने इन सभी अध्यायों को मौजूदा एक वर्ष के लिए सिलेबस से हटा दिया है।
वहीं 12वीं कक्षा के छात्रों को अब मौजूदा वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप, नीति आयोग, जीएसटी जैसे विषय नहीं पढ़ाए जाएंगे।
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