लॉकडाउन से पहले ही किसानों के लिए कर ली थी फूलप्रूफ तैयारी : कैलाश चौधरी
कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन से पहले ही हमने किसानों को हर तरह से मदद पहुंचाने के लिए मुकम्मल तैयारी कर ली थी।
![]() केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय की खास बातचीत |
उनके उत्पाद सुरक्षित रहें, समय पर बिक्री हो, उचित मूल्य मिले, मंडियां खुली रहें, ट्रांसपोर्टेशन में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसका हमने खास ख्याल रखा। किसान समूहों को तकनीक से जोड़ा और उन्हें पहली बार अंतरराज्यीय व्यापार करने का मौका दिया। सही समय पर सही निर्णय लेने का ही नतीजा है कि पिछले साल के मुकाबले 45 फ़ीसदी ज्यादा फसल हुई। यह बातें केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहीं। उनसे सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने खास बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत-:
कोरोनाकाल में खेती-किसानी भी प्रभावित हुई है। ऐसे में कृषि मंत्रालय ने किसानों की मदद और सुविधा के लिए क्या रणनीति बनाई है।
लॉकडाउन के पहले ही किसानों के बारे में काफी चिंता कर ली गई थी। किसान का उत्पाद सुरक्षित रहे, समय पर उसकी बिक्री हो जाए इसके लिए आवश्यक कदम उठाए गए थे। मंडियों को खुला रखा गया था। साथ ही साथ किसानों से जुड़ी हर चीज के ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी छूट दी गई थी। खाद और बीज की दुकानों को भी खुला रखा गया था। यही वजह रही कि उत्पादन पर्याप्त मात्रा में हुआ। पिछले साल के मुकाबले 45 फ़ीसदी ज्यादा फसल हुई है। सही समय पर सही निर्णय लिए गए। किसानों को भी अपनी फसल का उचित मूल्य मिल पाया। इसके अलावा किसानों के लिए आर्थिक पैकेज में से 3.5 लाख करोड़ रु पए का फंड रखा गया है। एक लाख करोड़ एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी रखा गया है।
गेहूं की रिकॉर्डतोड़ खरीदी की गई है। इसके पीछे क्या रणनीति सरकार की रही?
लॉकडाउन से पहले ही हमने तैयारी कर ली थी। प्रधानमंत्री हर तरीके से किसानों को मदद पहुंचाना चाहते हैं। हमारे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी के साथ लगातार बैठकें हुई। पंचायत स्तर पर और को-ऑपरेटिव के जरिए पहली बार खरीद की गई। समय पर किसानों के उत्पाद की खरीद हो जाए और उन्हें इसका सही समय पर उचित मूल्य मिल जाए, तो इससे बढ़िया क्या हो सकता है? यही हमारी रणनीति थी।
कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों में मंडियों से जुड़े उत्पादों की सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है। सब कुछ सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा?
किसानों के उत्पाद को मंडियों तक पहुंचने में किसी तरह का व्यवधान हमने नहीं आने दिया। ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से सुचारु रहा और मंडियां भी खुली रहीं। ई- नाम के साथ 1000 मंडियां खुली रहीं। इसी तरह, एप्पिओ के जरिए किसान समूहों को जोड़ा गया। उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं थी। खेत के भीतर ही अपने उत्पाद की तस्वीर अपलोड करनी थी और वह बोली लगा सकते थे। इसके साथ ही यह भी पहला मौका था, जब उन्हें अंतरराज्यीय व्यापार करने का मौका मिला। इससे पहले किसान अपनी नजदीकी मंडी के अलावा अपने अनाज को नहीं बेच सकते थे। किसानों के साथ बड़ी नाइंसाफी थी। अब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंंग पर भी काम हो रहा है। यानी पहले ही फसल के रेट तय कर लिए जाएंगे। किसान को आत्मनिर्भर बनाना ही हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है।
एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ टिड्डी दल ने भी आक्रमण कर दिया। किस तरह की रणनीति इनसे निपटने के लिए आपने बनाई?
यह टिड्डी दल अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते आता है। पिछले साल भी आया था और आगे भी आता रहेगा। इसके लिए हम अत्याधुनिक मशीनों पर काम कर रहे हैं। 60 मशीनें हमने ब्रिटेन से खरीदी हैं। इनमें से 15 आ गई हैं और 45 अगले महीने तक आ जाएंगी। इसके अलावा हेलीकॉप्टर से भी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। ड्रोन के जरिए भी हमने दवा का छिड़काव किया है। अच्छी बात यह है कि अब यह मशीनें हिंदुस्तान में ही तैयार की जाएंगी। सरकारी स्तर पर ही मशीनों को बनाया जा रहा है। इनके निर्माण में बहुत समय नहीं लगता है। 15 से 20 दिनों में ही तैयार हो जाती हैं। अब हम पूरे पाकिस्तान बॉर्डर पर ही टिड्डी दलों को रोक दिया करेंगे।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में एकीकृत ई-ग्राम स्वराज पोर्टल का डिजिटल लोकार्पण किया था। इस योजना के फायदे बारे में पाठकों को विस्तार से बताएं।
सबसे बड़ा फायदा है पारदर्शिता। किसानों को हम हाईटेक बनाना चाहते हैं। उन्हें मंडी रेट के बारे में जानकारियां नहीं होती है। इसके अलावा भी बहुत सी सुविधाएं हैं, जो हम किसानों तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि वह आत्मनिर्भर बन पाएं।
हाल ही में किसान रथ मोबाइल एप लॉन्च किया गया था। क्या आपको लगता है कि इसके जरिए कृषि उत्पादों के परिवहन की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी?
यह ओला और ऊबर की तरह ही काम करता है। किसान रथ ऐप से अभी तक 9 लाख ट्रक और 2 लाख ट्रैक्टर जुड़ चुके हैं। किसी भी स्थान से किसी अन्य स्थान तक फसलों को ले जाने के लिए यह ऐप काम करता है। अब किसान को ट्रांसपोर्टेशन के लिए इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं है। वह ऑनलाइन ही अपने माल का रेट तय कर सकता है और जो सबसे कम भाड़ा हो, उसके साथ अपने सामान को भेज सकता है।
स्वामित्व योजना में ड्रोन सर्वेक्षण की तकनीक से ग्रामीण इलाकों की जमीन की मैपिंग के मॉड्यूल की प्रक्रिया क्या होगी?
जमीन की मैपिंग एक बहुत जरूरी कदम है। हम वन डिस्ट्रिक्ट वन क्रॉप पर काम कर रहे हैं। किस जोन में कौन सी फसल होती है, इसकी जानकारी मिलेगी। पूरे देश का कृषि आधारित मैप तैयार होगा। किस मंडी में माल को भेजा जाना चाहिए, इसे भी तय किया जाएगा। किसान इससे संगठित होगा और ऑनलाइन सक्रिय होगा। ट्रेडर और किसानों दोनों को जानकारी मिल पाएगी कि कहां कौन सा सामान मिल रहा है या बिक रहा है। साथ ही साथ जमीन की मैपिंग के लिए भी योजना काम आएगी।
कृषि का हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा महत्व है। मौजूदा संकट के दौर में, कृषि कार्य बहुत तेजी के साथ करने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने कृषि के काम में रुकावट न हो, कामकाज प्रभावित न हो, किसानों को परेशानी न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य की क्या रणनीति है?
सबसे पहले किसानों के खाते में 2000 रुपए की सम्मान निधि सीधे पहुंचाई गई। साढ़े नौ करोड़ किसानों के खाते में यह पैसा भेजा गया। 10,000 एपीओ के जरिए किसानों को जोड़ा गया। यह किसानों के लिए गेम चेंजर साबित होगा। किसान के लिए चार ही महत्वपूर्ण बातें हैं, उन्नत बीज, कम लागत, भंडारण की व्यवस्था और बाजार में उत्पाद का दिखना। सरकार इन सभी में मदद कर रही है। कम लागत में किस तरह से खेती की जाए, इसके लिए जैविक खेती और मेडिसिनल प्लांट को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही साथ कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस पर सब्सिडी दी जा रही है। हम कोऑपरेटिव को मजबूत कर रहे हैं और इन्हें सेंट्रलाइज करने पर भी काम चल रहा है। पंचायत स्तर पर इन्हें मजबूत किया जाएगा ताकि किसानों के समूह बन पाए। फूड प्रोसेसिंग यूनिट से लेकर सारे काम एक ही जगह पर हो पाएं, इसके लिए दो करोड़ की बैंक गारंटी दी जाएगी और किसान अपने माल की पैकिंग करके खुद मार्केट कर पाएगा। हम किसान के हाथ में ज्यादा ताकत देना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम में अब तक किसानों के खातों में कितनी रकम जमा की गई हैं और इससे किसानों को कितना फायदा मिला है?
जैसा मैंने बताया, लॉकडाउन के दौरान ही साढ़े नौ करोड़ किसानों के खाते में पैसे गए हैं। 5 किस्तों में पैसे हमने डाले हैं। कुल मिलाकर 72000 करोड़ रु पए की किसान सम्मान निधि अभी तक दी जा चुकी है। सबसे महत्वपूर्ण बात है पहली बार किसानों के खाते में सीधे पैसा जाना।
जीडीपी में कृषि के योगदान के बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है, ये योगदान कैसे बढ़ेगा.?
हमें 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है। प्रधानमंत्री मोदी का 5 ट्रिलियन इकोनामी का सपना भी 2024 तक पूरा करने में किसान सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। किसानों के लिए आत्मनिर्भर भारत में एक लाख करोड़ का पैकेज दिया गया है। 3 करोड़ रु पए फूड प्रोसेसिंग यूनिट जैसी चीजों के लिए लोन पर दिए जाएंगे। इसे 7 साल में वापस करना होगा और इसके लिए कुछ भी गिरवी रखने की जरूरत नहीं। साथ ही सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाएगी। अब व्यापारी नहीं, बल्कि किसान तय करेगा कि उसके उत्पाद का क्या मूल्य होना चाहिए। आने वाले समय में किसान खुद व्यापारी बनेंगे। प्रोसेसिंग पैकेजिंग का सारा काम खुद करेंगे और अपने मूल्य निर्धारित करेंगे। आत्मनिर्भर भारत की नींव गांव और किसानों के साथ मिलकर ही रखी जा सकती है।
वर्ष 2018-19 में देश में 285.20 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था, जबकि 2019-20 में ये आंकड़ा 291.95 मिलियन टन है और अब 2020-21 में 298.3 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद है। इस बढ़ोतरी के लिए क्या कदम उठाए गए.इसके बारे में बताएं।
इसमें जागरूकता ने सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाया है। किसानों ने विभिन्न फसलों को लगाने पर ध्यान दिया और साथ ही साथ इंटीग्रेटेड फार्मिंंग पर भी काम किया है। वैज्ञानिकों ने नए किस्म के बीज दिए हैं, जो जलवायु परिवर्तन के इस दौर में ज्यादा बेहतर क्वालिटी का उत्पाद देते हैं। यही वजह है कि इन सारे कदमों से 45 फ़ीसदी •यादा फसल इस बार हुई है और अगली बार इससे भी ज्यादा होगी। दलहन में तो हम एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आ गए हैं। इसी तरह आने वाले समय में तिलहन में भी हम खुद को एक्सपोर्ट करने की स्थिति में ले आएंगे।
किसानों ने दलहन के उत्पादन में 28.3 प्रतिशत की वृद्धि करके देश में प्रोटीन क्रांति ला दी है, क्या अब दलहन पट्टी के किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता मिल पाएगी?
चाहे दलहन, तिलहन, जूट या गन्ना हो, इन तमाम किसानों के लिए हम संकल्पित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दोनों कार्यकालों में किसानों पर खासा जोर दिया है। पहले भी एमएसपी को डेढ़ गुना किया गया था। इस साल नई फसल बीमा नीति भी लेकर आए हैं। किसानों की तमाम परेशानियों पर गौर किया जा रहा है। अगर पिछली सरकार की बात करें तो 2013 से पहले किसानों के लिए मात्र 20 से 30 करोड़ का बजट रखा जाता था। आज डेढ़ लाख करोड़ का बजट है। लॉकडाउन के बाद आत्मनिर्भर भारत में साढ़े तीन लाख करोड़ रु पए का बजट अलग से रखा गया है। इतना बजट तो पूरे 5 साल का भी पिछली सरकारें नहीं रखती थीं, जितना 1 साल में मोदी सरकार नें किसानों के लिए खर्च किया है। 75000 करोड़ रु पए सीधे किसानों के खाते में भेजे गए हैं। हमने ग्राम स्वराज की जो कल्पना की है, वह मोदी जी के नेतृत्व में ही संभव होती दिखाई दे रही है।
ग्रीष्मकालीन फसलों पर विशेष ध्यान दिए जाने के कारण पिछले वर्ष 41.31 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 57.07 लाख हेक्टेयर जमीन पर बुआई की गई है, जो कि करीब 38 प्रतिशत ज्यादा है। इससे लगता है किसानों की कड़ी मेहनत देश को कोरोना संकट से उबार देगी।
किसानों का सहयोग ही हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। पहले की सरकारों ने किसानों पर ध्यान नहीं दिया। नई तकनीक, डिजिटल र्वल्ड, वैल्यू चेन को मजबूत करना इन सभी विषयों पर हम निरंतर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा आह्वान रहा है कि किसानों की आय बढ़नी चाहिए। मैं खुद किसान हूं। किसानों की जमीनी दिक्कतों, जैसे पानी, बिजली की समस्या को बहुत अच्छे से जानता हूं। मंत्रालय में बैठकर भी किसान की जमीनी हकीकत और परेशानी को जानना जरूरी है। मुझे प्रदेश में भी किसानों की जिम्मेदारी मिली थी। प्रधानमंत्री के आदेश पर किसानों को लाभ पहुंचाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम प्रयासरत हैं।
कोरोनाकाल में डिजिटल का महत्व बढ़ा है और केंद्र सरकार ने डिजिटल तकनीक के जरिए कई सुविधाएं दी हैं। आप बताएं कि किसानों को इसका कितना फायदा मिल रहा है?
किसानों और सरकार, दोनों को फायदा मिल रहा है। लॉकडाउन के दौरान भी मैं किसानों की समस्याओं को उनके प्रतिनिधियों से डिजिटल र्वल्ड की वजह से ही सुन पाया और इन समस्याओं के निदान के लिए मंत्रालय के तमाम अधिकारियों से भी लगातार बातचीत होती रही। इसके अलावा सेंसर बेस्ड सिंचाई के सिस्टम लगाने से पानी की बर्बादी पर भी रोक लगी है। मैं किसानों से भी आग्रह करूंगा कि वह अपने समूह बनाएं। नई तकनीक को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं। खासतौर पर युवा पीढ़ी से कहना चाहता हूं कि अब खेती किसानी में असीम संभावनाएं हैं। पुरानी कहानियों में भी एक गरीब किसान, इस तरह से लिखा जाता था। हमें इस भ्रांति को तोड़ना है कि किसान गरीब ही रहता है। कृषि में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं और आने वाला वक्त किसानों के लिए मजबूती लेकर आएगा।
आपका जीवन काफी संघषर्पूर्ण रहा है। बताया जाता है कि आप राजनीति की शुरु आत में पाषर्द का चुनाव हार गए थे और फिर आपकी मां ने आपका विश्वास बढ़ाया..और आज आप केंद्र में मंत्री हैं,जरा इसके बारे में बताएं।
मेरा कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा है। मैं किसान का बेटा हूं। हमेशा से मन में लोगों की सेवा करने की इच्छा थी। जब 11वीं कक्षा में था तब एक बहन को खून की जरूरत थी। अस्पताल गया और खून दिया। मुझे उस वक्त बेहद खुशी हुई कि मेरी वजह से किसी की जान बच पाई। इसके बाद सेवा करने का आनंद लिया। फिर पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर और संघ के कार्यकर्ता के तौर पर संस्कार सीखे। जब आप राजनीतिक जीवन में होते हैं तो व्यवधान आते हैं। किसानों के लिए संघर्ष करते हुए कई बार लाठियां खाई और जेल भी गया, लेकिन मैं पीछे मुड़कर इन चीजों को अब नहीं देखता। मुझे खुशी इस बात की है कि लोगों की सेवा करने का अब भी मौका मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व को आप कैसा पाते हैं? उनसे क्या कुछ सीखने को मिलता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में क्या विशेषताएं नहीं हैं? वो ज्ञान का सागर हैं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण बात है दूरदर्शिता। वह जो भी योजनाएं बनाते हैं तो उसके 50 साल बाद मिलने वाले लाभ के विषय में भी सोचते हैं। राजनीतिक वजह से कई लोग अभी उनके व्यक्तित्व को समझ नहीं पा रहे।
ये भी बताया जाता है कि बाड़मेर से करीब 30 साल बाद कोई शख्स केंद्रीय मंत्री बना है..इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?
मैं कार्यकर्ता के नाते ही काम करता था और वैसे ही काम करना चाहता हूं। किसी पद को बड़ा छोटा नहीं मानता हूं। मुझे खुशी इस बात की है कि जनता ने और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझ पर विश्वास जताया। बस उम्मीद करता हूं कि इस विश्वास पर खरा उतरूं।
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