केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, प्रवासी कामगारों से ट्रेन का किराया नहीं लिया जा रहा

Last Updated 09 Jun 2020 04:57:08 PM IST

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि ट्रेन यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा है और इसे मजदूरों को भेजने वाले और प्राप्त करने वाले राज्यों के बीच व्यवस्था के जरिए वहन किया जाता है।


केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि रेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि श्रमिक विशेष ट्रेनों की कोई भी मांग 24 घंटे के भीतर पूरी की जाएगी। मेहता ने कहा, "भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की मदद से केंद्र सरकार उन प्रवासी श्रमिकों को नजदीकी रेलवे स्टेशन तक पहुंचा रही है, जिन्हें सड़कों पर पैदल चलते पाया जा रहा है।"

केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि रेल मंत्रालय ने 29 मई और तीन जून को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर फंसे हुए श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए श्रमिक ट्रेन की पेशकश की थी। उपरोक्त पत्र के जवाब में, 3 जून से 16 जून तक ट्रेनों के लिए अलग-अलग राज्यों से अनुरोध प्राप्त हुए है।

मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि कई राज्यों ने किसी भी ट्रेन की कोई मांग नहीं की है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने अपने फैसले में कहा, "सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां फंसे हुए प्रवासी कामगारों की पहचान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। जो लोग अपने मूल स्थानों पर लौटने के इच्छुक हैं, उनके लिए ट्रेन / बस द्वारा उनकी वापसी यात्रा के लिए कदम उठाएं जो आज से 15 दिनों की अवधि के भीतर पूरी हो जाए।"

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी अतिरिक्त मांग की स्थिति में, 171 श्रमिक ट्रेनों की मांग के अलावा, प्रवासी यात्रियों की वापसी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे 24 घंटे की अवधि के भीतर ट्रेनें प्रदान करेगा। शीर्ष अदालत ने यह फैसला कोरोनावायरस के प्रकोप को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का संज्ञान लेकर लिया था।
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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