विदेशी चंदे के हकदार हैं जन आंदोलनकारी : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 08 Mar 2020 03:34:37 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बंद, हड़ताल, रास्ता रोको और जेल भरो आंदोलन का संचालन करने वाले संगठनों को राजनीतिक प्रकृति का कहकर उन्हें विदेशी चंदे से वंचित नहीं किया जा सकता। जनसाधारण के लिए लड़ने वाले संगठन विदेशी चंदा पाने के हकदार हैं।


विदेशी चंदे के हकदार हैं जन आंदोलनकारी : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एल नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की बेंच ने इंडियन सोशल एक्शन फोरम (इंसाफ) की याचिका पर यह अहम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के तहत किसी भी संगठन के कामकाज को राजनीतिक प्रकृति का बताकर विदेशी चंदा प्राप्त करने के अधिकार से रोका नहीं जा सकता। अधिनियम की धारा पांच के तहत सरकार को अधिकार है कि किसी संगठन के कामकाज को राजनीतिक घोषित कर दे।

याची ने कहा था कि एफसीआरए के नियम इतने भ्रामक हैं कि सरकार कानून की आड़ में मनमानी करती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत जो किसान, श्रमिक, छात्र संगठन सीधे तौर पर राजनीतिक दलों से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन उनका मकसद इन समूहों के राजनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाना है। इन समूहों के वैध राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए उन्हें विदेशी चंदे से महरूम नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि कानून में राजनीतिक हित भ्रामक है और इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसके दुरुपयोग के अधिक आसार हैं, लेकिन कानून के दुरुपयोग होने पर उसे प्रावधान को असंवैधानिक करार नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफसीआरए के संबंधित प्रावधानों का मकसद प्रशासन को विदेशी प्रभाव से मुक्त रखना है।

सक्रिय राजनीति में मशगूल लोगों को विदेशी चंदे से मुक्त रखने का मकसद देश के सार्वभौमिक स्वरूप को संरक्षित रखना है, लेकिन साथ ही स्वयं सेवी सस्थाएं जिनका सक्रिय राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, समाज के आर्थिक उत्थान के लिए लगे संगठनों को राजनीतिक बताकर इस कानून के दायरे में नहीं लाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर नियम तीन के तहत राजनीतिक हित का मतलब सक्रिय राजनीति या राजनीतिक दल से है।

विवेक वार्ष्णेय/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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