सहारा ने सेबी में जमा किए 15,448 करोड़, सेबी ने निवेशकों को लौटाए 110 करोड़: अनुराग ठाकुर

Last Updated 13 Feb 2020 09:59:47 PM IST

सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए जबाव से ये स्पष्ट है कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में जमा 15 हजार 448.67 करोड़ का मूलधन जो अब ब्याज समेत करीब 22 हजार करोड़ हो चुका है, सेबी ने निवशेकों को अब तक करीब 110 करोड़ की रकम ही लौटाई है।


वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों SIRECL और SHICL के निवेशकों को रिफंड के लिए अखबारों में कई बार विज्ञापन जारी किया गया, लेकिन अब तक सिर्फ 81.30 करोड़ के मूलधन रिफंड के लिए ही दावे आए। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से लोकसभा के पटल पर रखे गए लिखित जवाब में कहा गया है कि सेबी ने 25 मई 2013 के अलावा 2014 के अगस्त, सितंबर और दिसंबर महीने में सहारा समूह की दो कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों को रिफंड देने के लिए विभिन्न अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाए थे।

सेबी ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर रिफंड वापसी के लिए आवेदन का एक मसौदा भी अपलोड किया था ताकि निवेशक अपना रिफंड हासिल करने के लिए आसानी से आवेदन कर सकें। इसके बाद सेबी ने 26 मार्च 2018 और 19 जून 2018 को फिर से विज्ञापन प्रकाशित कर निवेशकों से रिफंड लेने के लिए आवेदन करने को कहा। इस विज्ञापन के जरिए सेबी ने निवेशकों को रिफंड लेने के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 2 जुलाई 2018 तय की थी। सेबी के विज्ञापन के मुताबिक ये ‘कट ऑफ’ तारीख थी और निवेशकों के लिए आवेदन का आखिरी मौका था। सेबी ने ये भी कहा था कि 2 जुलाई 2018 के बाद किसी भी रिफंड के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा।

सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में ब्याज समेत जमा हैं 22 हजार करोड़ रुपए

  • रिफंड के लिए आवेदन की समय सीमा खत्म
  • 2 जुलाई 2018 थी आवेदन की आखिरी तारीख
  • रिफंड के दावे के लिए सेबी ने जारी किए कई विज्ञापन
  • सेबी को मिले कुल 19,560 रिफंड के दावे
  • कुल दावे की ब्याज रहित राशि 81.3 करोड़ रु
  • अब तक 14,146 दावों का निपटारा
  • सेबी ने निवेशकों को लौटाए सिर्फ 109.86 करोड़ रु

लोकसभा में वित्त मंत्रालय की ओर से रखे गए दस्तावेजों के मुताबिक अखबारों में कई बार प्रकाशित विज्ञापन के बाद सेबी को निवेशकों के कुल 19,560 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें कुल 81.30 करोड़ लाख मूलधन की डिमांड की गई थी। सेबी ने अब तक 14,146 आवेदनों का निपटारा करते हुए कुल 109.86 करोड़ की रकम निवेशकों को वापस किए हैं जिसमें 58.52 करोड़ मूलधन और 51.34 करोड़ ब्याज की रकम शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक निवेशकों के आवेदन के सत्यापन और पूर्व जस्टिस बी एन अग्रवाल के अनुमोदन के बाद निवेशकों को रिफंड दिए गए हैं। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से लोकसभा में पेश दस्तावेज में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब तक सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में 15,448.67 करोड़ की रकम जमा हो चुकी है साथ ही ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से सेबी को वेल्लोर स्थित एक प्रॉपर्टी से जुड़े 41.59 करोड़ रुपये का चेक भी सौंपा है।



सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए जवाब से ये स्पष्ट है कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में जमा 15 हजार 448.67 करोड़ का मूलधन जो अब ब्याज समेत करीब 22 हजार करोड़ हो चुका है, उसमें से निवशेकों को करीब 110 करोड़ की रकम ही लौटाई जा सकी है। सहारा समूह ने कई मौके पर ये कहा कि उसने अधिकांश निवेशकों की रकम लौटा दी है, इसलिए जो निवेशक सेबी से रिफंड का दावा कर रहे हैं, उनकी संख्या और धनराशि काफी कम है।

सेबी ने SIRECL और SHICL के अलावा सहारा ग्रुप की अन्य कंपनियों जैसे मेसर्स सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट रेंज लिमिटेड, मेसर्स सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड, मेसर्स सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, मेसर्स सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड, सहारियन यूनिवर्सल मल्टी परपज सोसाइटी लिमिटेड, मेसर्स सहारियन ई मल्टी परपज सोसाइटी लिमिटेड, और मेसर्स स्टार्स मल्टी परपज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के मामले की भी जांच की और पाया कि उपरोक्त कंपनियों की गतिविधियां सामूहिक निवेश योजना की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं, इसीलिए ये सेबी के दायरे से बाहर हैं।

भाषा/एसएनबी
नई दिल्ली


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