हिंद-प्रशांत अवधारणा चीन को किनारे करने की कोशिश : रूस
दुनिया की राजनीति पर हो रहे भारत के वैश्विक सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में बुधवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हिंद-प्रशांत अवधारणा पर निशाना साधा।
नई दिल्ली में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलते रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव। |
उन्होंने कहा कि यह नई अवधारणा लाने की कोशिश मौजूदा संरचना में व्यवधान डालने और चीन को किनारे करने का प्रयास है।
‘रायसीना डायलॉग’ में लावरोव ने कहा कि समानता पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था को क्रूर बल का उपयोग कर प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और ब्राजील की स्थाई सदस्यता की दावेदारी का भी समर्थन किया। लावरोव ने हिंद-प्रशांत अवधारणा पर कहा कि अमेरिका, जापान और अन्य देशों की ओर से की जा रही नई हिंद-प्रशांत अवधारणा लाने की कोशिश मौजूदा संरचना को नया आकार देने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘हमें एशिया प्रशांत को हिंद प्रशांत कहने की क्या जरूरत है? जवाब स्पष्ट है, ताकि चीन को बाहर किया जा सके। शब्दावली जोड़ने वाली होनी चाहिए, विभाजनकारी नहीं। न तो एससीओ और न ही ब्रिक्स किसी को अलग-थलग करता है।’ उन्होंने कहा, ‘जब हम हिंद-प्रशांत के पहलकर्ताओं से पूछते हैं कि यह एशिया प्रशांत से अलग क्यों है, तो हमें कहा जाता है कि यह अधिक लोकतांत्रिक है। हम ऐसा नहीं सोचते। यह तो छल है। हमें शब्दावली को लेकर सावधान होना चाहिए जो कि अच्छी लगती तो है पर है नहीं।’
हिंद-प्रशांत पिछले कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति का प्रमुख केन्द्र रहा है और देश इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा दे रहा है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि किसी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, हम भारत की स्थिति का समर्थन करते हैं।
| Tweet |