गृहमंत्री अमित शाह ने साइबर अपराध से निपटने के लिए अत्याधुनिक पोर्टल का उद्घाटन किया

Last Updated 11 Jan 2020 12:40:19 AM IST

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’(आई4सी) और ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ का उद्घाटन किया जिससे लोग साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार यह पोर्टल साइबर संबंधी शिकायतों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आवश्यक कार्रवाई करने की अनुमति देगा। इस पोर्टल (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.साइबरक्राइम.जीओवी.इन) से अभी तक 700 पुलिस जिले और 3900 पुलिस थाने जुड़ चुके हैं।       

बयान में कहा गया कि यह पोर्टल मामलों की जांच करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता को बढा सकता है और अभियोजन की सफलता दर में सुधार करेगा।    

यह विशेष रूप से वित्तीय मामले(आनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी जैसे मामले)और सोशल मीडिया संबंधित मामले जैसे पीछा करना(साइबर स्टॉंकिंग) और तंग करना (साइबर बुलिंग) पर कार्रवाई करने में मदद करेगा।    

यह पोर्टल समन्वित और प्रभावी तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न राज्यों, जिलों और पुलिस थानों की विधि प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार करेगा।           

गृह मंत्रालय व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।    

भविष्य में यह पोर्टल एक चैटबोट सुविधा देगा जो साइबर अपराध की रोकथाम और पोर्टल पर घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए जनता को स्वचालित संपर्क सहायता प्रदान करेगा।    

साइबर अपराधों से समन्वित तरीके से निपटने के लिए 415.86 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली आई4सी योजना को अक्टूबर 2018 में अनुमोदित किया गया था।      

इसमें सात घटकों में राष्ट्रीय साइबर अपराध भय विश्लेषण इकाई, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र, साइबर अपराध पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन इकाई, राष्ट्रीय साइबर अपराध शोध और नवोन्मेष केंद्र, राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र और संयुक्त साइबर अपराध जांच समूह मंच शामिल हैं।    

 

गृह मंत्रालय की पहल पर 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने एक क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने के लिए अपनी सहमति दे दी है।    

यह पोर्टल 30 अगस्त, 2019 को प्रायोगिक आधार पर शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री की उपलब्धता, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करने में सक्षम बनाना था।

भाषा
नयी दिल्ली


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