डीयू में बीए एलएलबी और बीबीए एलएलबी की पढ़ाई महंगी
दिल्ली विश्वविद्यालय में सत्र 2025-26 में पढ़ाई महंगी होने जा रही है। विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठय़क्रमों की फीस में जल्द ही इजाफा हो सकता है।
![]() डीयू में पढ़ाई महंगी |
विश्वविद्यालय ने अपने अंडरग्रेजुएट कोर्सेज की फीस में इजाफा करने का मन बना लिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पांच वर्षीय बीए एलएलबी और बीबीए एलएलबी कोर्स की फीस दो लाख रुपये के पार चली जाएगी। इन दो कोर्सेज की फीस बढ़ा कर दो लाख 8 हजार 550 रुपये की जा सकती है।
एमए और पीएचडी कोर्सेज की ़फीस में भी इजाफा होगा। इसी प्रकार कई अन्य कोर्सेज में भी बढ़ोतरी की जानी है। बेशक, उच्च शिक्षा में इजाफा छात्रों और उनके अभिभावकों पर खासा बोझ बढ़ाने वाला साबित होगा। वैसे ही हमेशा से उच्च शिक्षा का खर्च आम परिवारों की पहुंच से बाहर ही रहा है।
इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन जैसे पाठय़क्रमों में आम परिवार का छात्र सफल भी रहता है, तो अपनी प्रतिभा के बल पर स्कॉलरशिप आदि पाकर ही सफल हो पाता है। यदि फीस आदि में सहूलियत न मिले तो यकीनन इन पाठय़क्रमों का शिक्षण व्यय आम परिवार की पहुंच से बाहर है।
अब लॉ के अलावा बंगाली जैसी भाषाओं के पाठय़क्रमों की फीस बढ़ा कर शिक्षा को महंगा करने का फैसला लिया जा चुका है। एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षण खर्च और एक निजी विश्वविद्यालय में होने वाले पढ़ाई पर खर्च में कोई ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा।
यह समाज के बड़े तबके के हित पर कुठाराघात ही कहा जाएगा। इस प्रकार से फीस में बढ़ोतरी की तैयारी से लगता है कि सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण की दिशा में अपने कदम और तेज करने का मन बना लिया है।
फीस बढ़ोतरी संबंधी प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने हरी झंडी दे दी है। संभवत: 2025-26 के सत्र से इसे कार्यान्वित भी कर दिया जाए। एक ऐसे देश में जहां बड़ी आबादी जैसे-तैसे मिनिमम स्तर पर गुजारा कर पा रही है, उसके नौनिहालों के आगे बढ़ने की संभावनाओं को कुंद करना उचित नहीं कहा जा सकता।
कहना न होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने महंगे होते बंदोबस्त के नाम पर अपने फैसले को जस्टिफाई करेगा। लेकिन एक केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा मात्र इस तर्क के सहारे फीस में बेजा बढ़ोतरी को तार्किक नहीं कहा सकता। सभी वगरे के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
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