जमीयत भी पुनर्विचार याचिका दायर करेगा : अरशद मदनी

Last Updated 18 Nov 2019 06:36:02 AM IST

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को कहा कि उनका संगठन अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।


जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (file photo)

उन्होंने कहा कि कोई भी मुस्लिम किसी मस्जिद को उसकी मूल जगह से कहीं और स्थानांतरित नहीं कर सकता, इसलिए मस्जिद के लिए कहीं और जमीन स्वीकार करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।


एक बयान जारी कर मौलाना अरशद मदनी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने एक समाधान निकाला है, जबकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद यह कानूनी लड़ाई सालों से लड़ रही है। एक हजार पन्नों के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने मुसलमानों के अधिकांश तर्कों को स्वीकार कर लिया है और एक कानूनी विकल्प अभी भी शेष है।"



उन्होंने कहा, "भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपॉर्ट के साथ अदालत ने इस बात को स्पष्ट किया कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनी थी। 1949 में गैर-कानूनी रूप से मस्जिद के बाहरी आंगन में मूर्तियों को रखा गया था। इसके बाद इन्हें स्थानांतरित करके गुंबददार संरचना के अंदर रखा गया और इस दिन तक मुस्लिम वहां नमाज पढ़ रहे थे।"

शीर्ष न्यायालय की बात को दोहराते हुए मदनी ने कहा, "कोर्ट ने भी मना कि 1857 और 1949 तक मुसलमान वहां नमाज पढ़ते आ रहे थे, तो फिर 90 साल तक जिस स्थान पर नमाज पढ़ी गई हो, उसे मंदिर को देने का फैसला समझ से परे है।"

मदनी ने कहा, "पुनर्विचार याचिका पर मुश्किल से ही अदालत के निर्णय बदले जाते है। फिर भी मुसलमानों को न्याय के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए।"

अपने बयान में मदनी ने यह भी कहा कि अगर मस्जिद को नहीं तोड़ा गया होता तभी भी क्या कोर्ट मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाने का फैसला सुनाता।

दूरी बनाई इकबाल अंसारी ने
अयोध्या भूमि विवाद मामले के मुख्य वादी इकबाल अंसारी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की योजना से रविवार को दूरी बनाई।

उन्होंने कहा कि मेरी राय बोर्ड के विचारों से अलग है और मैं इसी समय मंदिर-मस्जिद मुद्दे को समाप्त करना चाहता हूं।  उच्चतम न्यायालय के राम मंदिर के पक्ष में दिये गये ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा का भी पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।

इस बीच विहिप ने कहा कि अयोध्या मामले पर मुस्लिम समुदाय को उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वीकार करना चाहिए और दावा किया कि महात्मा गांधी ने सोमनाथ मंदिर मामले में इसी तरह की अपील की थी।

आईएएनएस/भाषा
नई दिल्ली/अयोध्या


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