महाराष्ट्र में सियासी ड्रामा चरम पर, सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस पर टिकी निगाहें

Last Updated 12 Nov 2019 09:40:15 AM IST

महाराष्ट्र में सोमवार को सरकार बनाने के लिए विभिन्न दलों की ओर से जारी कवायद के बीच अब सभी की निगाहें शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और विशेष रूप से कांग्रेस पर जा टिकी हैं। आज (मंगलवार) दोनों दलों की महत्वपूर्ण बैठकें होगी जिसमें वे अपने फैसले का ऐलान करेंगी।


सोनिया गांधी, शरद पवार (फाइल फोटो)

राज्य में चौथे नंबर की पार्टी कांग्रेस (44) का सरकार बनाने में सबसे अहम भूमिका होगी क्योंकि सरकार बनाने की प्रबल दावेदार शिवसेना (56) और एनसीपी (54) को सरकार बनाने के लिए उसका समर्थन निहायत ही आवश्यकता होगी। तीनों पार्टियों को मिलाकर ही (154) के स्पष्ट बहुमत के आंकड़ों को पार किया जा सकता है। लेकिन सांप्रदायिकता और धर्म आधारित राजनीति का विरोध करने वाली कांग्रेस के लिए शिवसेना को समर्थन देना या लेना आसान नहीं होगा। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार की सुबह पार्टी के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई है जिसमें महाराष्ट्र में सरकार बनाने या ना बनाने को लेकर चर्चा की जाएगी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को शिवसेना के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद देर रात एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। एनसीपी के मुताबिक सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के वास्ते मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया है। एनसीपी की मंगलवार दोपहर अहम बैठक होगी जिसमें सरकार बनाने की रणनीति पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य विधानसभा में चुनाव जीतकर सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनाने का दावा पेश करने से इंकार करने के बाद कोश्यारी उसके बाद पार्टियों को सरकार बनाने का आमंत्रण दे रहे हैं। अपनी संवैधानिक औपचारिकतायें पूरी करते हुए कोश्यारी ने सोमवार की शाम शिवसेना और बाद में अजीत पवार के नेतृत्व में वाली एनसीपी के प्रतिनिधिमंडल को सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा।     

महाराष्ट्र में तेजी से चले रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सोमवार की देर शाम कोश्यारी और शिवसेना के बीच हुई मुलाकात विवादों में घिर गई। राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए तीन दिनों का और समय देने में असमर्थता व्यक्त की थी जबकि शिवसेना का दावा है कि राज्यपाल ने उन्हें 48 घंटे का और समय देने से इंकार किया।

शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में गये पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल की राज्यपाल से किये गये मुलाकात के बाद सरकार बनाने के लिए और समय देने को लेकर किये गये दावे से नया विवाद उत्पन्न हो गया है। शिवसेना के दावे का खुलासा राजभवन से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति से हुआ जिसके मुताबिक शिवसेना के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार गठन के लिये तीन दिन का समय मांगा था।

राजभवन से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार शिवसेना निर्धारित समय में अपेक्षित समर्थन पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी थी और उसने सरकार के गठन के लिये समर्थन जुटाने के लिये तीन दिन का समय देने के लिये एक अनुरोध पत्र दिया था। लेकिन राज्यपाल ने और समय देने में असमर्थता व्यक्त की थी।

आदित्य ठाकरे ने कोश्यारी से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा है कि उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से 48 घंटे का और समय मांगा था जिससे उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के समक्ष हमने सरकार बनाने की इच्छा व्यक्त की है, और इस संबंध में अन्य दलों के साथ बातचीत अभी चल रही है।

ठाकरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने नई सरकार के गठन के लिए दावा पेश करने से पीछे हट गयी थी जिसके बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के नेता एकनाथ शिंदे को रविवार को राज्यपाल का एक पत्र मिला, जिसमें उन्होंने हमें 24 घंटे का समय दिया था जो सोमवार शाम साढ़े सात बजे समाप्त हो गया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम समय सीमा समाप्त होने से पहले शाम 18:45 बजे तक राजभवन पहुंच गए, और राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने की इच्छा व्यक्त की, और प्रक्रियाओं की पूर्ति के लिए 48 घंटे का समय बढ़ाने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल ने समय बढ़ाने के हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राज्यपाल ने समय विस्तार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है लेकिन सरकार बनाने का दावा नहीं।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के लिए सैद्धांतिक रूप से बातचीत अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार देना हमारी (शिवसेना की) जिम्मेदारी है।
समय विवाद के बीच कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात की और कहा कि आगे की रणनीति को लेकर एनसीपी से विचार विमर्श किया जाएगा।

कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि सोमवार सुबह कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कार्य समिति की सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिति को लेकर विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि कार्य समिति में बैठक के बाद पार्टी की महाराष्ट्र इकाई से विचार विमर्श किया गया। बाद में कांग्रेस अध्यक्ष ने पवार से बातचीत की।

वेणुगोपाल ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन को लेकर वहां के राजनीतिक हालात पर पार्टी लगातार नजर रखे है और अब आगे की रणनीति को लेकर एनसीपी से विचार विमर्श किया जाएगा।

खबरों में कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और सोनिया गांधी के बीच सोमवार को फोन पर बातचीत हुई। सुबह शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने भाजपा नीत केंद्रीय मंत्रिमंडल से यह कहते हुए इस्तीफा दिया है कि दोनों दलों के बीच पैदा हुई स्थिति को देखते हुए उनका सरकार में बने रहना उचित नहीं है।

इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने सोमवार रात संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के 18 दिन बाद भी अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है। जनता ने भाजपा और शिवसेना को पूर्ण बहुमत दिया था लेकिन मुख्यमंत्री पद की खींचतान में भाजपा सरकार बनाने से इनकार करने करने के बाद राज्यपाल महोदय ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए बहुमत की संख्या विधायकों के नाम और हस्ताक्षर के साथ 24 घंटे का समय दिया था जो सोमवार शाम साढ़े सात बजे समाप्त हो गया।

उन्होंने कहा कि बहुमत की संख्या के विधायकों का हस्ताक्षर लेना इतने कम समय में संभव नहीं था जिसके कारण शिवसेना भी सरकार बनाने में विफल रही।

सरकार बनाने को लेकर इस उठापटक के बीच शरद पवार ने शिवसेना प्रमुख से फोन पर बातचीत की। बताया जाता है कि पवार ने ठाकरे को राज्यपाल की ओर से एनसीपी को सरकार बनाने के लिए न्यौता मिलने के बारे में जानकारी दी।

इस बीच कोश्यारी से मुलाकात के बाद एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि राज्यपाल से न्यौता मिलने के संबंध में मंगलवार को कांग्रेस के बाद शिवसेना से भी फिर से बातचीत की जाएगी।

पवार सरकार बनाने के प्रबल दावेदारों में एक हैं और उनकी शिवसेना प्रमुख और कांग्रेस अध्यक्ष से करीबी राजनीतिक रिश्ते हैं। दोनों पार्टियों के समर्थन के बल पर वह सरकार बनाने के प्रबल उम्मीदवार भी है।

वैसे इन मामलों पर भाजपा की निगाहें भी सरकार बनाने की कवायद पर टिकी हुई हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी अभी देखो और इंतजार करो की नीति पर काम कर रही है।

वार्ता
मुंबई


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