जम्मू कश्मीर और लद्दाख आज से बने केन्द्र शासित प्रदेश, हटा राष्ट्रपति शासन
जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाए जाने के बाद अविभाजित जम्मू कश्मीर में लगा राष्ट्रपति शासन गुरूवार को हटा दिया गया।
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जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र के रूप में आज यानी गुरूवार से अस्तित्व में आए हैं।
आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 356 की धारा 2,के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, मेरे द्वारा 19 दिसंबर, 2018 को जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में जारी की गई अपनी उद्घोषणा को रद्द करता हूं।’’
देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (संघ राज्य क्षेत्रों) में तब्दील कर दिया गया। इस तरह, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की संख्या बढ कर नौ हो गई और राज्यों की संख्या घटकर 28 रह गई है।
यह कदम पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप उठाया गया है। केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्यों को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी।
केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आए जम्मू कश्मीर का उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुमरू को और लद्दाख का उप राज्यपाल राधा कृष्ण माथुर को बनाया गया है।
जम्मू-कश्मीर की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने पहले लेह में माथुर को और बाद में श्रीनगर स्थित राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में मुमरू को उपराज्यपाल पद की शपथ दिलाई।
गुजरात कैडर के, 1985 बैच के आईएएस अधिकारी मुमरू की नियुक्ति का वारंट मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने पढा।
जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बगैर विधानसभा वाला केंद्र शासित क्षेत्र होगा।
इससे पहले राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जून 2017 में जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था और राज्यपाल शासन के छह महीने बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र के गठन के बाद बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा की गई।
संविधान का अनुच्छेद 356, जिसके तहत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, केंद्र शासित क्षेत्रों पर लागू नहीं होता।
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