टाइटलर व उनकी पत्नी पर आपराधिक मामले दर्ज

Last Updated 29 Oct 2019 07:18:27 AM IST

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और उनकी पत्नी सहित कई लोगों के खिलाफ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आपराधिक मामला दर्ज किया है।


कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (file photo)

दर्ज कराई गई प्राथमिकी में दावा किया गया है कि जाली दस्तावेजों के बलबूते करोड़ों की जमीन कब्जाई है। यह जमीन पहले रिहायशी इलाके में थी जबकि बाद में जब व्यावसायिक श्रेणी में आई तो उसकी कीमत करोड़ों की हो गई। विवादित जमीन मध्य दिल्ली के करोलबाग इलाके में स्थित बताई जाती है।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ओपी मिश्रा ने बताया कि टाइटलर और उनकी पत्नी जेनीफर टाइटलर सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ विगत 9 जुलाई को एफआईआर नंबर 0124 पर मामला दर्ज हुई है। पुलिस ने बताया कि यह प्राथमिकी दिल्ली स्थित पटियाला हाउस अदालत के आदेश के बाद दर्ज की गई जबकि शिकायतकर्ता ने करीब एक साल पहले ही मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा तक पहुंचा दिया था । शिकायतकर्ता विजय सेखरी का कहना है कि जब महीनों दौड़ने के बाद भी दिल्ली पुलिस आर्थिक अपराध शाखा ने केस दर्ज नहीं किया तो पटियाला हाउस कोर्ट में मामला गया। जहां कोर्ट में तलब किए जाने पर आर्थिक अपराध शाखा ने बताया कि मिली शिकायत में दर्ज आरोपियों के हस्ताक्षर के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।

इस पर अदालत ने जो फाइलें देखीं उसके बाद उसने तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश आर्थिक अपराध शाखा को दे दिए। उसी के बाद शाखा ने एफआईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता विजय सेखरी दिल्ली के छतरपुर इलाके में रहते हैं। उनका कहना है कि एफआईआर में नामजद आरोपियों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर, उनकी पत्नी जेनीफर टाइलर के साथ-साथ तमिलनाडु की सन रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई के वेंकटासुभा राव, विजय भास्कर, रविंद्र नाथ बाला कवि, मैसर्स गोल्डन मूमेंट्स करोलबाग, राकेश वधावन (कमला नगर दिल्ली), दिल्ली के संजय ग्रोवर, हरीश मेहता का भी नाम शामिल है।

इस बाबत जगदीश टाइटलर से उनका पक्ष जानने को लेकर बात करने की कोशिश की गई लेकिन कई बार प्रयास के बाद भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। यह मामला 1990 के दशक का है। विजय सेखरी और जगदीश टाइटलर दोनो पक्षों और उनकी फर्मों ने संयुक्त रूप से मिलकर 50-50 फीसद की हिस्सेदारी में मध्य दिल्ली के करोलबाग इलाके में दो रिहाइशी संपत्तियां खरीदी थीं। सन 2013 में दोनों संपत्तियां रिहाइशी से बदलकर व्यवसायिक श्रेणी में शामिल कर ली गई। साल 2009 के आसपास पता चला कि जगदीश टाइटर पक्ष ने संपत्तियों के दस्तावेज अपने पक्ष में कर लिए हैं।

शिकायतकर्ता अपना हक पाने के लिए कंपनी लॉ बोर्ड चले गए। कंपनी लॉ बोर्ड ने दोनों संपत्तियों की कीमत 90 करोड़ आंकी थी। साथ ही आदेश दिया कि हमारे पक्ष को हमारा हिस्सा दे दिया जाए।  बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ जगदीश टाइटलर पक्ष हाईकोर्ट गए।  हाईकोर्ट ने संपत्तियों की कीमत फिर पता करवाई। हाईकोर्ट ने भी यही आदेश दिया कि हमारा हिस्सा जो बनता है वो शेयर हमारे पक्ष को दे दिया जाये। 2017 में हाईकोर्ट के फैसले को लेकर आरोपी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। शिकायतकर्ता विजय सेखरी के मुताबिक,‘सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुल से री-वेल्यूशन कराया। तब दोनों संपत्तियों की कीमत करीब 270 करोड़ निकल कर सामने आई थी।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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