उभरते खतरे से निपटने के लिए मित्रों के साथ साझेदारी जारी : सेना प्रमुख

Last Updated 19 Oct 2019 12:25:36 AM IST

थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि भारत पड़ोस के साथ-साथ ‘‘वृहद क्षेत्र’’ में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और सेना ‘‘किसी भी तरह के उभरते खतरों से निपटने’’ के लिए अपने मित्रों के साथ साझेदारी करना जारी रखेगी।


थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत

थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ‘रक्षा अताशे’ के चौथे सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘हम महज अपने सशस्त्र बलों को हथियारबंद करने के लिए हथियारों का निर्माण नहीं कर रहे हैं बल्कि धीरे-धीरे हम निर्यात उन्मुखी रक्षा उद्योग बन रहे हैं।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रक्षा निर्यात वर्तमान में 11 हजार करोड़ रुपये वाषिर्क है और 2024 तक इसके 35 हजार करोड़ तक बढने की उम्मीद है।’’      

रावत ने अपने संबोधन में सशस्त्र बलों की प्रशंसा की और अच्छे प्रशिक्षण तथा गुणवत्तापूर्ण हथियारों और उपकरणों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने पर जोर दिया।      

उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल आकार के आधार पर ही नहीं, बल्कि हमारे वृहद लड़ाकू अनुभव, हमारी पेशेवर दक्षता’’ और अन्य गुणों के कारण दुनिया के अग्रणी सशस्त्र बलों में से एक हैं।      

उन्होंने कहा, ‘‘इसी वजह से हमारे अन्य विशिष्ट लोकाचार हैं। हम अपने पड़ोस के साथ साथ वृहद क्षेत्र में भी शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम अतीत की ही तरह आगे भी किसी भी तरह के उभरते खतरों से निपटने के लिए हमारे मित्रों के साथ साझेदारी करना जारी रखेंगे।’’      

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीरसिंह ने भी सम्मेलन में शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में समुद्री डकैतों जैसे समुद्री खतरों का हवाला दिया जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ता है। उन्होंने समुद्री सहयोग बढाने और वि में ‘‘सामूहिक सैन्य दक्षता’’ का लाभ उठाने की भी वकालत की।    

सिंह ने कहा, ‘‘नौसेनाहिंद महासागर क्षेत्र में समान विचारों वाले सदस्यों के साथ सहयोग बढाने के लिए प्रतिबद्ध है और सहयोग संबंधी हमारा लोकाचार प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त पांच ‘स’ (एस) से - सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति एवं समृद्धि - से निर्देशित होता है।’’      

इससे पहले थलसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में रक्षा उद्योग से भी अपील की कि वह सशस्त्र बलों को समाधान मुहैया कराए।      

उन्होंने कहा, ‘‘हम जब एक अनिश्चित एवं जटिल दुनिया में सुरक्षा के हमारे मार्ग पर मौजूद चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में हम चाहते हैं कि रक्षा उद्योग समाधान मुहैया कराए ताकि हमारे रक्षा बलों की आवश्यकताएं पूरी हो सकें।’’      

रावत ने कहा कि हर देश शांति, स्थिरता एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘‘सशस्त्र बलों या मुझे कहना चाहिए मजबूत सशस्त्र बलों’’ को बनाए रखता है।      

उन्होंने कहा, ‘‘शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को जब भी बुलाया जाए, वे तब अपने उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम हों, इसके लिए आपको एक बहुत दक्ष एवं सशक्त मानवबल, सैनिकों, नौसैन्यकर्मियों और वायुसेनाकर्मियों की आवश्यकता है। अच्छा प्रशिक्षण और अच्छी गुणवत्ता के हथियार एवं उपकरण जवानों को सशक्त करते हैं।’’      

सेना प्रमुख ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में ‘‘उभरते खतरों का सामना करने के लिए रक्षा संबंधी तैयारियों के लिए साझी जिम्मेदारियों की प्रणाली को मजबूत करना होगा।’’      

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में भारतीय उद्योग को मित्रवत अन्य देशों, रक्षा विशेषज्ञों या सैन्य विशेषज्ञों की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में खुशी होगी।

    

उन्होंने कहा, ‘‘सभी भागीदारों के साथ बातचीत करने के लिए आर्मी डिजाइन ब्यूरो के माध्यम से इस तरह की पहल को संभव बनाने में हमें खुशी होगी।’’      

रावत ने कहा, ‘‘हम सिर्फ अपने रक्षा बलों के लिए ही हथियार नहीं बना रहे हैं, बल्कि हम अब निर्यात करने वाले रक्षा उद्योग के रूप में उभर रहे हैं।’’      

उन्होंने अपने भाषण में फरवरी 2020 में होने वाले अगले डिफेंस एक्सपो का जिक्र भी किया।

भाषा
नयी दिल्ली


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