कश्मीर में हालात सामान्य करे केंद्र

Last Updated 17 Sep 2019 04:26:50 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि कश्मीर घाटी में यथाशीघ्र हालात सामान्य हालात करने के लिए सभी प्रयास करें।


उच्चतम न्यायालय

साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सामान्य हालात बहाल करना ‘चयनित आधार’ पर होगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने राज्य में हालात सामान्य करने के लिए प्राधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में सूचित किया। इस पर पीठ ने अटार्नी जनरल को इस मामले में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कश्मीर घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं कथित रूप से ठप होने के बारे में जब शीर्ष अदालत को बताया गया तो पीठ ने कहा कि इन मुद्दों पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय विचार कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘क्या आज भी वही स्थिति है? हम कह रहे हैं कि यदि कुछ स्थानीय मुद्दे हैं तो बेहतर होगा कि उन पर उच्च न्यायालय विचार करे। उच्च न्यायालय के लिए यह जानकारी प्राप्त करना आसान होगा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवा ठप होने को लेकर राज्य में क्या हो रहा है।’ कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने पीठ से कहा कि कश्मीर घाटी में मोबाइल, इंटरनेट सेवा और सार्वजनिक परिवहन सेवा काम नहीं कर रही है और उनके लिए उच्च न्यायालय जाना मुश्किल होगा। अनुराधा भसीन ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने के बाद जहां राज्य में पत्रकारों के काम करने पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया, वहीं कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर में सार्वजनिक परिवहन सेवा ठप होने और चिकित्सीय सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया।

हालांकि, वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे ‘सही नहीं लगते’ क्योंकि कश्मीर में स्थित समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं और सरकार उन्हें हर तरह की सहायता देने की पेशकश कर रही है। पीठ ने कहा, ‘यह एक या दो समाचार पत्रों का मामला नहीं है। वे कह रहे हैं कि सामान्य संचार व्यवस्था ठप है। हम जानना चाहते हैं कि क्या यह ब्रेक डाउन है या शटडाउन और किस वजह से।’ इस पर वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि श्रीनगर में मीडिया सेन्टर स्थापित किया गया है, जहां सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक पत्रकारों को इंटरनेट और फोन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पत्रकारों को अपना काम करने के लिए आने जाने के पास और वाहन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘आप ये सारी बातें हलफनामें पर दें। इस बीच, हम आप पर (सरकार) भरोसा करते हैं कि आप सेवाएं बहाल करने और हालात सामान्य बनाने का प्रयास करेंगे। जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में पांच अगस्त के बाद एक भी गोली नहीं चलाई गई है।’
वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में प्रशासन तीन ओर से हमले का सामना कर रहा है। पहला हमला अलगाववादियों द्वारा है, दूसरा आतकवादियों द्वारा जिन्हें सीमापार से भेजा जा रहा है ओर तीसरा हमला स्थानीय आतंकवादियों से है, जिन्हें बाहर से वित्तीय मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि 1990 से इस साल पांच अगस्त तक राज्य में आतंकी ¨हसा की 71,038 घटनाओं में 41,866 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवाई। इन घटनाओं में 5,292 सुरक्षाकर्मियों की भी जान गई है। जब कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने कश्मीर में चिकित्सा सुविधाओं की कथित कमी का मुद्दा उठाया तो वेणुगोपाल ने कहा कि घाटी में पांच अगस्त से 15 सितंबर तक अस्पतालों के बहिरंग मरीज विभाग में करीब 10.52 लाख मरीजों को देखा गया है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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