सायरा बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पड़ी तीन तलाक कानून की नींव

Last Updated 25 Jul 2019 08:29:54 PM IST

लोकसभा में गुरुवार को पारित तीन तलाक से संबंधित विधेयक की नींव सायरो बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के साथ पड़ी जिसमें शीर्ष अदालत ने इस परंपरा को गैर-कानूनी करार दिया था।


सायरा बानो मामले से पड़ी तीन तलाक कानून की नींव

उच्चतम न्यायालय का वह ऐतिहासिक फैसला 22 अगस्त 2017 को आया था। विधेयक  के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि सायरा बानो बनाम सरकार एवं अन्य तथा इससे संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के 22  अगस्त 2017 के फैसले में तलाक-ए-बिद्दत के जरिये मुस्लिम पतियों द्वारा उनकी पत्नियों को तलाक देने  की परंपरा को गैर-कानूनी करार दे दिया गया था। उस फैसले से तीन तलाक के ‘‘सदियों पुराने मनमौजी एवं सनकी तरीके’’ से भारतीय मुस्लिम महिलाओं की आजादी को बल मिला। इसके बाद सरकार इस पर तीन बार अध्यादेश लायी और तीसरी बार संसद में विधेयक लाया गया।

सरकार पहली बार 28 दिसंबर 2017 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में लेकर आयी। यह विधेयक 28 दिसंबर 2017 को लोकसभा में पारित भी हो गया, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के कारण विधेयक पेश नहीं किया जा सका। इस विधेयक पर विपक्ष की कुछ आपत्तियाँ थीं। विपक्ष का कहना था कि आरोपी पति की जमानत का कोई प्रावधान नहीं होना, सुलह का कोई प्रावधान नहीं होना और किसी भी व्यक्ति को प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार देना उचित नहीं है।

सरकार इन तीनों आपत्तियों को दूर करने के लिए संशोधन करते हुये कानून को लागू करने के लिए 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश ले आयी। उसने मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत का प्रावधान किया। पीड़िता को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट को यथोचित शतरें पर सुलह कराने का भी अधिकार दिया गया। साथ ही किसी भी व्यक्ति की जगह प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार सिर्फ पीड़िता या उसके खून के रिश्तेदार या शादी से बने रिश्तेदार तक सीमित कर दिया गया।

तीनों संशोधनों के साथ नये स्वरूप में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 को 17 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पेश किया गया। यह विधेयक 27 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन एक बार फिर इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका।

संसद में पारित न होने के कारण सरकार ने 12 जनवरी 2019 को दूसरी बार अध्यादेश जारी किया। पिछली लोकसभा के अंतिम सा में भी विधेयक को राज्यसभा में नहीं रखा जा सका जिसके कारण सा समाप्त होने के बाद 21 फरवरी 2019 को तीसरी बार अध्यादेश लाया गया।



इसके बाद मई में 16वीं लोकसभा भंग हो गयी जिससे विधेयक स्वत: निरस्त हो गया। नयी लोकसभा के गठन के बाद विधेयक को 21 जून 2019 को सदन में पेश किया गया और 25 जुलाई 2019 को सदन ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 पर अपनी मुहर लगा दी।
 

वार्ता
नयी दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment