'डिजिटल कैमरा' वाले दावे पर गलत साबित हुए मोदी

Last Updated 15 May 2019 10:14:10 AM IST

क्या भारत में किसी नागरिक के लिए साल 1988 में डिजिटल कैमरा रखना और ईमेल का इस्तेमाल करना संभव था, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए अपने साक्षात्कार में दावा किया? उनके दावों को साबित करने के लिए तथ्य ढूंढ़ना बेहद मुश्किल है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

साक्षात्कार में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा था, "शायद मैं पहला व्यक्ति था जो 1987-88 में डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल करता था और उस समय बहुत कम लोगों के पास ईमेल की सुविधा थी। वीरमगाम (गुजरात) में आडवाणीजी की रैली थी और मैंने अपने डिजिटल कैमरे से उनकी एक तस्वीर खींची थी..वह उस समय मेरे पास था। उसके बाद मैंने वह तस्वीर दिल्ली भेजी ओर वह अगले दिन रंगीन छपी। आडवाणीजी हैरान रह गए कि उनकी रंगीन तस्वीर कैसे छपी।"

न्यूयॉर्क टाइम्स के एक ब्लॉग के मुताबिक, उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि डिजिटल कैमरा को उन दिनों इलेक्ट्रॉनिक स्टिल कैमरा कहा जाता था। उसका पेटेंट 1978 में हुआ।

प्रौद्योगिकी वेबसाइट 'मैशेबल' की खबर के मुताबिक, सन् 80 के दशक के मध्य में कई कैमरा निर्माताओं ने पेशेवर बाजार में आर-सी 701 और क्यूसी-1000 सी वाले निकॉन सहित कई हजार डॉलर कीमत वाले इलेक्ट्रॉनिक स्टिल कैमरे उतारे थे।

ये कैमरे उस समय भारत में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं थे।

बाजार अनुसंधान प्रतिष्ठान टेकएआरसी के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक फैसल कवूसा कहते हैं, "भारत में डिजिटल कैमरा पहली बार सन 1990 में आया। अगर इससे पहले भारत में किसी के पास यह था तो उसे विदेश से किसी परिवार या दोस्त ने उपहार में दिया होगा।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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