सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT पर आयोग से मांगा जवाब

Last Updated 26 Mar 2019 06:18:59 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से इस बारे में जवाब मांगा है कि लोकसभा चुनाव और विधान सभा चुनावों में प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से वीवीपैट का एक-एक नमूना सर्वेक्षण करने की बजाए क्या इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।


सुप्रीम कोर्ट

आयोग को 28 मार्च को शाम चार बजे तक अपना जवाब देना है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में वीवीपैट के एक-एक नमूना सव्रेक्षण की जगह यह संख्या बढ़ाई जा सकती है। अदालत ने संकेत दिया कि वह वीवीपैट सव्रेक्षण नमूनों की संख्या बढ़ाने के पक्ष में है लेकिन उसने कहा कि यह किसी प्रकार का आक्षेप लगाने का सवाल नहीं है बल्कि यह ‘संतोष’ का मामला है और वह चाहती है कि आयोग नमूनों की संख्या बढ़ाने पर विचार करे।
     अदालत ने इसके साथ ही याचिका की सुनवाई एक अप्रैल के लिए स्थगित कर दी। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि लोक सभा चुनाव में प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट मशीनों की अचानक जांच का निर्देश दिया जाए। याचिका दायर करने वालों में छह राष्ट्रीय और 15 क्षेत्रीय दलों के नेता शामिल हैं और उनका दावा है कि वे देश की 70 से 75 फीसदी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते है।

याचिका में लोकसभा चुनाव के दौरान एक विधान सभा क्षेत्र में अचानक ही जांच करने का निर्वाचन आयोग का निर्देश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। याचिका दायर करने वाले दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, मार्क्‍सवादी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम शामिल हैं। याचिका में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1975 के फैसले का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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