जेटली ने ‘दुस्साहसी वकीलों’ पर साधा निशाना
केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर हमला करने वाले वकीलों के तौर-तरीकों की र्भत्सना करते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बाहर से सार्वजनिक दबाव से भी खतरा आ सकता है।
![]() केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली |
अमेरिका में उपचार करा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक लंबे लेख में कहा कि दूसरी अदालतों की तरह उच्चतम न्यायालय में भी प्रैक्टिस करने वाले कुछ दुस्साहसी वकीलों का एक वर्ग है, जिसकी रणनीति अदालत को दबाव में रखना है। वे मुकदमों से बाहर हो जाने तथा अपनी ताकत दिखाने के लिए अपने गुट के साथ और राजनीतिक हैसियत का इस्तेमाल करके महाभियोग प्रस्ताव लाने की धमकी देते हैं और न्यायाधीशों पर सार्वजनिक टीका टिप्पणी करते हैं। वे अदालत को डराने के लिए मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने लिखा कि एक साल पहले 12 जनवरी को उच्चतम न्यायालय के चार जजों द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन ने भारत के न्यायिक संस्थानों का कहीं ज्यादा नुकसान किया। इससे जजों के भीतर की गुटबाजी सार्वजनिक हुई और लोगों को पता चला कि वे अपने संस्थान में आपस में संघषर्रत हैं। अब वे खुद को एक भद्दे आचरण में लिप्त पाकर दूसरों के ऐसे आचरण को रोकने में असमर्थ पा रहे हैं।
श्री जेटली ने कहा कि पिछले मुख्य न्यायाधीश पर दबाव डालकर राय बदलने वाली शक्तियों ने हमला किया था। यह एक ऐसा उदाहरण था, जिसे अब वैध माना जा रहा है। उनके उत्तराधिकारी इस प्रकार के व्यवहार से बच नहीं पाएंगे। स्वतंत्र न्यायपालिका पर खतरा सार्वजनिक दबाव से भी आ सकता है जो ऐसी ही शक्तियों द्वारा बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम की कार्यवाहियां एवं विचार विमर्श गत दो साल से उस अखबार में नियमित रूप से प्रकाशित होता रहा है, जो दबाव डालकर राय बदलने का प्रयास करता है। यह नापाक गठजोड़ उजागर हुआ है।
उन्होंने लिखा है कि यदि कानून मंत्री वरिष्ठता का सिद्धांत लागू करते हैं, जैसा उन्होंने पिछले साल उच्चतम न्यायालय में एक नियुक्ति के लिए किया, तो ये दबाव डालने वाली शक्तियों ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताया, लेकिन जब उन शक्तियों ने पारस्परिक वरिष्ठता का मुद्दा उठाया तो वह संस्थान की स्वतंत्रता पर कुठाराघात हो गया। यह अजीब दोहरा मानदंड है।
श्री जेटली ने यह टिप्पणी कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेरी एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना के उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाये जाने के कारण उपजे विवाद के बीच की है।
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