बनते-बनते बिगड़ रही 'आप' की बात

Last Updated 04 Jan 2019 01:07:54 AM IST

कांग्रेस और आप के बीच बनते-बिगड़ते रिश्ते को बृहस्पतिवार को एक बार और झटका लगा। अब लगभग तय हो गया है कि आम आदमी पार्टी महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी।


आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

फिलहाल पार्टी अपने बूते दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और गोवा की सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुट गई है। प्रधानमंत्री मोदी को रोकने के लिए पार्टी अपनी रणनीति तय करेगी। बृहस्पतिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने साफ कर दिया है कि आप महागठबंधन का हिस्सा नहीं है।
गौरतलब है कि काफी अरसे से आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों के महागठबंधन को लेकर उत्सुकता दिखा रही थी। इसके लिए लॉबिंग राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ही कर रहे थे लेकिन 1984 सिख दंगे को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सियासत ने करवट ली। आम आदमी पार्टी ने कथित तौर पर दिल्ली विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मिले भारतरत्न सम्मान वापस लिए जाने संबंधी प्रस्ताव को पारित कर दिया। इसके बाद जाहिर तौर पर कांग्रेस से रिश्ते में खराब हो गए। आप सांसद संजय सिंह ने महज कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन पर ट्वीटर के जरिए हमला करते हुए कहा था कि ‘ दिल्ली में 0 पर हैं। अहंकार मत कीजिए। अबकी बार जमानत नहीं बचेगी।’ हालांकि माकन ने भी पलटवार करते हुए जवाब दिया था। ऐसे में आपसी रिश्ते बिगड़ चुके हैं।

दूसरी बात यह है कि अगस्ता वेस्ट लैंड और राफेल के बीच जो सियासी तलवारें खिंची हुई हैं, इसी बीच केजरीवाल का एक पुराना वीडियो वॉयरल हुआ है। केजरीवाल ने एक इलेक्ट्रानिक मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि अगस्ता वेस्ट लैंड हेलीकाप्टर मामले में रिश्वतखोरी हुई है। इटली की एक अदालत ने रिश्वतखोरी से संबंधित आर्डर पास किया है, जिसमें सोनिया गांधी और अहमद पटेल का नाम भी है। कुछ दिन पहले भी केजरीवाल का एक वीडियो वॉयरल हुआ था, जिसमें उन्होंने भ्रष्ट लोगों की सूची जारी की थी और कांग्रेस के तमाम दिग्गज लोगों का नाम लिया था। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया की वजह से महागठबंधन की गांठें पहले ही खोल दी हैं।
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी जब एलजी हाउस में धरना दे रहे थे तो राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा सरीखे नेताओं को जुटाकर गोलबंदी का प्रयास किया था। संजय सिंह ने एक बार औपचारिक बातचीत में कहा था कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है।
मोदी को रोकना है तो पुरानी बातों को भूलाकर आगे के लिए सोचना होगा। लेकिन केजरीवाल खेमे के लोगों ने संजय सिंह की सोच पर पानी फेर दिया। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अधिकतर सदस्य कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं चाहते दिखे। उनका कहना था कि गठबंधन के लिए पहल केवल आप की ओर से एकतरफा की जा रही है। कांग्रेस ने कभी भी रुचि नहीं दिखायी। ऐसे में आप एक बार फिर आक्रामक होकर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है।

रविशंकर तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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