8-12 साल के ज्यादातर बच्चे साइबर जोखिम के दायरे में
ज्यादातर 8 से 12 साल के बच्चों को आनलाइन जोखिम मसलन साइबर क्षेत्र में डराने- धमकाने और वीडियो गेम्स की लत पडने जैसे जोखिम के दायरे में हैं. भारत सहित 29 देशों पर किए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है.
8-12 साल के बच्चे साइबर जोखिम के दायरे में (फाइल फोटो) |
डीक्यू इंस्टिट्यूट और विश्व आर्थिक मंच डब्ल्यूईएफी की साझा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आयुवर्ग में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे साइबर बुंलिग, वीडियो गेम की लत, आफलाइन बैठकों, गलत सूचना और आनलाइन सेक्सुअल ग्रूमिंग का शिकार हो सकते हैं. ज्यादातर 8 से 12 साल के बच्चों को आनलाइन जोखिम मसलन साइबर क्षेत्र में डराने- धमकाने और वीडियो गेम्स की लत पडने जैसे जोखिम के दायरे में हैं. भारत सहित 29 देशों पर किए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है.
इसमें कहा गया है कि यह समस्या उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अधिक है. जहां इंटरनेट तेजी से पकड बना रहा है, जबकि अभिभावकों, उद्योग या सरकार की ओर से उचित सुरक्षा कदम नहीं उठाए गए हैं. इस अध्ययन में 38,000 बच्चों को शामिल किया गया. इनमें से पिछले साल के दौरान 47 प्रतिशत बच्चे साइबर क्षेत्र में डराने धमकाने की कार्रवाई का शिकार बने.
अध्ययन में कहा गया है कि बच्चे एक सप्ताह में सिर्फ मनोरंजन के लिए 32 घंटे डिजिटल स्वीन के सामने बैठते हैं. यह उनके द्वारा स्कूल में बिताए गए समय से भी अधिक है. डीक्यू इंस्टिट्यूट सिंगापुर के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी युहयुन पार्क ने कहा कि हमें इन बच्चों की मदद के लिए तेजी से सकारात्मक कदम उठाने होंगे. विशेषरूप से उभरते देशों में. हमें मिलकर काम करना होगा जिससे बच्चे साइबर जोखिमों से खुद का बचाव कर सकें और एक सफल तथा जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बन सकें.
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