सफाई की व्यवस्था करो, हम कचरा उठाने के लिए नहीं

Last Updated 07 Feb 2018 04:19:21 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने देश में ठोस कचरे के प्रबंधन के बारे में आधी अधूरी जानकारी के साथ 845 पेज का हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र को उसके समक्ष ‘कचरा’ नहीं डालने की चेतावनी दी और कहा कि शीर्ष अदालत ‘कूड़ा उठाने वाली’ नहीं है.


उच्चतम न्यायालय

शीर्ष अदालत ने यह सख्त टिप्पणी देश में ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के अमल के मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र के वकीलों द्वारा न्यायालय में इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने की पेशकश किए जाने पर की.
कहा, हलफनामे में कुछ भी नहीं : न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह हलफनामा रिकार्ड पर लेने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार उसके समक्ष कचरा नहीं डाल सकती है और इस तरह का हलफनामा दाखिल करने का कोई मतलब नहीं है जिसमे ‘कुछ भी नहीं’ हो.
वकीलों से कहा, आप हमें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं : पीठ ने सख्त लहजे में केंद्र के वकील वसीम कादरी से कहा, ‘आप क्या करने का प्रयास कर रहे हैं? आप हमें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं? हम इससे प्रभावित नहीं हुए हैं. आप सब कुछ हमारे सामने डालना चाहते हैं. हम इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.’
आपके पास जो कूड़ा है, वो हमारे सामने डाल रहे हैं : पीठ ने कहा, ‘यह मत कीजिये. जो भी कूड़ा कचरा आपके पास है, आप हमारे सामने डाल रहे हैं. हम कूड़ा उठाने वाले नहीं हैं. इसके बारे में आप को साफ मालूम होना चाहिए.’

तीन हफ्ते में नया हलफनामा दाखिल करने को कहा : इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें यह जानकारी होनी चाहिए कि क्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2016 के नियमों के अनुसार राज्य स्तर के परामर्श बोर्ड गठित किए हैं.
राज्यों के परामर्श बोडरे की देनी होगी जानकारी : पीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कब परामर्श बोर्ड गठित किए गए, इनके अध्यक्ष और सदस्यों के नाम तथा इनकी बैठकों का विवरण भी हलफनामे में देने का निर्देश केंद्र को दिया है.
पूछा, क्या राज्य केंद्र की सलाह मानने को बाध्य नहीं? : हालांकि पीठ ने कहा, ‘आपने 2000 में नियम तैयार किए थे लेकिन किसी ने भी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों इस पर अमल नहीं किया. इसके बाद आप ने 2016 में नियम तैयार किए परंतु ऐसा लगता है कि इसमें किसी की भी दिलचस्पी नहीं है. जब वे इतने आसान मानदंडों को लागू नहीं कर रहे हैं तो फिर कठोर नियमों को कैसे लागू करेंगे. क्या राज्य केंद्र सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है?’
केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू नहीं करा पाए नियम : न्यायालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन आपके अंतर्गत आता है. आप इनमें ही अपने नियम लागू नहीं कर पा रहे हैं. कादरी ने कहा कि केंद्र को आंध प्रदेश, असम और बिहार जैसे राज्यों से भी अभी जवाब नहीं मिला है जबकि दिल्ली में ठोस कचरे के प्रबंधन के बारे मे बोर्ड का गठन कर दिया गया है सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्यों ओर केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य स्तर के परामर्श बोर्ड के गठन और उनके स्वरूप के बारे में भी केंद्र से जानकारी मांगी.

सहारा न्यूज ब्यूरो


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment