जानिए, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कब क्या हुआ
2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले का घटनाक्रम, जिसमें सभी अभियुक्त निर्दोष साबित हुए हैं.
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21 अक्टूबर 2009: सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा मामला दर्ज किया.
मई 2010: एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल)' ने स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितताओं की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की याचिका दायर की.
8 अक्टूबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने कथित घोटाले पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर सरकार का जवाब मांगा.
10 नवंबर, 2010: कैग ने सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया.
14 नवंबर, 2010: ए राजा ने संचार मंत्री के पद से इस्तीफा दिया.
8 दिसंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने 2 जी घोटाले की जांच के लिए एक विशेष अदालत की स्थापना का आदेश दिया.
2 फरवरी, 2011: राजा गिरफ्तार.
2 अप्रैल, 2011: सीबीआई ने मामले में आरोपपत्र दाखिल किया.
2 9 अप्रैल, 2011: सीबीआई ने मामले में पूरक आरोपपत्र दायर किया.
15 सितंबर, 2011: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पी.चिदंबरम को सह-अभियुक्त बनाने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में याचिका दाखिल की.
22 अक्टूबर 2011: विशेष सीबीआई अदालत ने राजा सहित 17 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए.
22 अक्टूबर 2011: न्यायालय ने राजा और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए.
11 नवंबर, 2011: मामले में मुकदमा शुरू हुआ.
23 नवंबर, 2011: सुप्रीम कोर्ट ने पांच कॉपोर्रेट प्रमुखों को जमानत दी.
12 दिसंबर 2011: सीबीआई ने तीन आरोप पत्र दाखिल किए. इनमें एस्सार के प्रमोटर अंशुमन रुइया, रवि रुइया, एस्सार ग्रुप के रणनीतिक और नियोजन निदेशक विकास श्राफ, लूप टेलीकॉम प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आईपी खेतान, लूप टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, लूप मोबाइल इंडिया लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग शामिल है.
2 फरवरी, 2012: सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में जारी 122 लाइसेंसों को रद्द करने का आदेश दिया, कंपनियों को ऑपरेशन बंद करने के लिए चार महीने का समय दिया गया.
4 फरवरी, 2012: अदालत ने गृह मंत्री पी चिदंबरम को आरोपी बनाने के लिए स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया.
28 नवंबर, 2011: डीएमके के सांसद कनिमोझी को जमानत मिल गई.
15 मई 2012: राजा को मिली जमानत.
25 मई 2012: अदालत ने एस्सार और लूप के प्रमोटरों के खिलाफ आरोप तय किए और जमानत दे दी.
25 अप्रैल, 2014: ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राजा, कनिमोझी और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए.
31 अक्टूबर 2014: राजा, कनिमोझी और अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन के आरोप लगाए गए.
17 नवंबर 2014: धन शोधन मामले में मुकदमा शुरू हो गया.
5 दिसंबर, 2017: न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाने के लिए 21 दिसंबर का दिन निर्धारित किया.
21 दिसंबर: राजा और कनिमोझी सहित सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया.
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