डीजल को जीएसटी में शामिल कराने सोमवार से ट्रक हड़ताल, ये है मांगें
जीएसटी, डीजल के दामों में बढ़ोतरी के विरोध में ट्रांसपोर्टरों ने 36 घंटे की राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की है. जो आज (9 अक्टूबर) सुबह आठ बजे से शुरू होगी. देशव्यापी इस हड़ताल में सभी ट्रांसपोर्टर और संचालक शामिल होंगे.
देश में आज से ट्रकों की हड़ताल शुरू |
ट्रक मालिकों और संचालकों ने शनिवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत विघटनकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया और नए अप्रत्यक्ष कर के तहत डीजल को लाने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने 36 घंटों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, जो नौ अक्टूबर सुबह आठ बजे से शुरू होगी.
कलकत्ता गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार मित्तल ने यहां संवाददाताओं से कहा, "जीएसटी लागू होने के बाद परिवहन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) और अन्य ट्रासपोर्ट एसोसिएशनों ने दो दिनों की सांकेतिक राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान किया है, जो नौ अक्टूबर (सोमवार) को सुबह आठ बजे से शुरू होगी और 10 अक्टूबर को शाम आठ बजे खत्म होगी. हम भी इसका समर्थन करते हैं."
उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत विभिन्न नीतियों के कारण सड़क परिवहन क्षेत्र में बहुत भ्रम और विघटन पैदा हुआ है. उन्होंने कहा, "डीजल मूल्य में अत्यधिक वृद्धि और कीमतों में रोजाना उतार-चढ़ाव सड़क परिवहन क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है. डीजल और टोल पर किया जानेवाला खर्च
ट्रक के परिचालन खर्च के 70 फीसदी से भी अधिक है, जबकि डीजल को ही जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखा गया है. डीजल को जीएसटी के अंतगर्त लाना आवश्यक है, ताकि देश में एक कीमत पर डीजल की बिक्री हो."
ट्रांसपोर्टर्स ने यह मांग भी की कि डीजल की कीमतों की समीक्षा तिमाही आधार पर होनी चाहिए.
उनके मुताबिक, जीएसटी प्रणाली के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) और फारवर्ड चार्ज मैकेनिज्म (एफसीएम) की मौजूदगी से भ्रम पैदा हो रहा है.
एआईएमटीसी के कार्यकारी अध्यक्ष एस के. मित्तल ने बताया, "वर्तमान विघटनकारी परिस्थितियों की जायज चिंताओं और उससे होनेवाली हानि को उजागर करने के लिए यह सांकेतिक हड़ताल की जा रही है. इसमें 80 लाख से अधिक ट्रक शामिल होंगे और सड़क पर नहीं उतरेंगे."
इस प्रस्तावित सांकेतिक हड़ताल के कारण खाद्य पदार्थो सहित विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित रहेगी.
ट्रांसपोर्टर अपंजीकृत व्यापारियों से सामान नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि इससे आरसीएम के तहत इन व्यापारियों की ओर से जीएसटी का भुगतान ट्रांसपोर्टरों को करना होगा.
जीएसटी प्रणाली एक अन्य योजना भी प्रदान करती है, जिसके माध्यम से ट्रांसपोर्टर एफसीएम का लाभ उठा सकते हैं, जहां उन्हें 12 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है, लेकिन पूर्ण इनपुट क्रेडिट का दावा करना पड़ता है.
ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन ऑफ बंगाल के संगठन सचिव तपन भादुड़ी ने कहा, "वर्तमान जीएसटी शासन में उल्लिखित कानूनों से ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टरों द्वारा अनिवार्य पंजीकरण और अनावश्यक अनुपालन हो रहा है. सरकार ने क्रमश: आरसीएम और एफसीएम में जीएसटी दोहरे कराधान के तहत विकल्प क्रमश: पांच फीसदी और 12 फीसदी कर दिए हैं."
सीजीटीए के उपाध्यक्ष संतोष सर्राफ ने कहा कि व्यापार की दुनिया में भ्रम की स्थिति से बचने के लिए आरसीएम में केवल एक योजना पांच फीसदी होनी चाहिए.
भादुड़ी ने कहा कि इस्तेमाल की गई परिसंपत्तियों की बिक्री में भी जीएसटी लगाया गया है, जो दोहरे कराधान को आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित ई-वे बिल सड़क परिवहन क्षेत्र के कामकाज के अनुरूप नहीं है.
| Tweet |