मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना तथ्यों पर आधारित नहीं : जयंत
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा द्वारा की गयी कड़ी आलोचना का जवाब देने के लिए सरकार ने आज उनके पुत्र एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को उतारा.
यशवंत सिन्हा और उनके पुत्र जयंत सिन्हा (फाइल फोटो) |
जयंत सिन्हा ने कहा कि संरचनात्मक सुधारों के दीर्घकालिक प्रभावों का एक या दो तिमाही की सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) वृद्धि दर और दूसरे आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आकलन करना पर्याप्त नहीं है.
पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कल एक अंग्रेजी दैनिक में लिखे लेख में सरकार की आर्थिक नीतियों विशेषकर नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कड़ी आलोचना करते हुये कहा था कि अर्थव्यवस्था का बेड़ागर्क हो गया है. इसके जवाब में जयंत सिन्हा ने आज एक अन्य अंग्रेजी दैनिक में लिखे लेख में सरकार की नीतियों को नये भारत के लिए नयी अर्थव्यवस्था का निर्माण करने वाला बताते हुये कहा कि संरचनात्मक सुधारों की न सिर्फ जरूरत है बल्कि नये भारत के निर्माण और करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी ये आवश्यक हैं.
उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल भुगतान को आमूलचूल बदलाव लाने की पहल बताते हुये कहा कि इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से शुरू किये गये संचरनात्मक सुधारों से 1991 में आरंभ हुए सुधारों को आगे बढ़ाकर तीसरी पीढ़ी के सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाया है. वर्ष 1999-2004 के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कार्यकाल में दूसरी पीढ़ी के संरचनात्मक सुधार हुये थे.
जयंत सिन्हा कहा है कि पहली और दूसरी पीढ़ी के सुधारों की तुलना में तीसरी पीढ़ी के सुधारों से सभी भारतीयों को बेहतर संतुलित जीवनशैली प्रदान करने के साथ ही 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने लिखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को लेकर हाल में कई लेख लिखे गये हैं. दुर्भाज्ञ से इन सभी लेखों में बहुत कम तथ्यों को आधार बनाकर निष्कर्ष निकाले गये हैं और इनमें अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव लाने वाले संचरनात्मक सुधारों के मूल तत्व पर गौर नहीं किया गया है.
मोदी सरकार में कुछ समय तक वित्त राज्य मंत्री रहे जयंत सिन्हा ने कहा है कि जो नयी अर्थव्यवस्था बनायी जा रही है, वह बहुत पारदर्शी, वैश्विक लागत प्रतिस्पर्धी और नवाचार आधारित होगी. इन सबसे बढ़कर यह नयी अर्थव्यवस्था अधिक समानता वाली होगी, जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवनशैली मिल सकेगी.
उन्होंने कहा कि कर के दायरे से बाहर और अनौपचारिक क्षेत्र में जो लेनदेन हो रहे थे, अब वे औपचारिक क्षेत्र में आ गये हैं. दीर्घकाल में कर संग्रह बढ़ेगा और राज्यों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव में भी कमी आयेगी तथा जीडीपी में बढ़ोतरी होगी और आम लोगों को डिजिटल लेनदेन करने से अपनी विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों में नीति निर्माण नियम आधारित हो गया है. प्राकृतिक संसाधन और लाइसेंस पूरी तरह से पारदर्शी नीलामी के जरिये जारी किये जा रहे हैं. दिवालिया संहिता से जोखिम में फंसी संपदा के त्वरित निपटान में मदद मिलेगी जिससे बैंकिंग क्षेत्र को गैर निष्पादित परिसंपत्तियों से राहत मिलेगी.
यशवंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा था कि वित्तीय कुप्रबंधन, नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लचर क्रियान्वयन ने भारतीय अर्थव्यवस्था का बेड़ागर्क कर दिया है और (वास्तविक) आर्थिक वृद्धि दर निचले स्तर पर पहुंच गयी है.
उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह 24 घंटे लगातार काम करने के बावजूद अपने कार्य के प्रति न्याय करने में विफल रहे हैं. जेटली की योग्यता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था कि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें वित्त मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी दी गयी है. वास्तव में आम चुनावों से पहले ही उन्हें वित्त मंत्री बनाया जाना तय था. उन्होंने कहा था कि जेटली ने अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है.
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