विपक्षी महागठबंधन का लिटमस टेस्ट होंगे आगामी विधानसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करिश्मे से मुकाबला करने के लिये विपक्ष के महागठबंधन का पहला लिटमस टेस्ट आगामी विधानसभा चुनाव में होगा.
(फाइल फोटो) |
लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने में जुटे नेताओं के लिये विधानसभा के आगामी चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होंगे क्योंकि इन चुनाव में ही विपक्ष की एकता की पहली परीक्षा होगी. इन्हीं से तय होगा कि मोदी से टकराने के लिये विपक्षी गठबंधन की दिशा क्या होगी.
इसी साल के अंत में जहां दो राज्यों गुजरात और हिमाचल में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं तो वहीं अगले साल देश के आठ राज्यों छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान और त्रिपुरा में विधानसभा के चुनाव होने हैं. गुजरात में जहां पिछले 22 वर्ष से भाजपा सत्ता में है तो वहीं हिमाचल में सत्ता कांग्रेस के हाथ में है. ऐसे में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिमाचल में अपनी सत्ता बनाये रखने की है वहीं गुजरात चुनाव में वनवास खत्मकर देश की राजनीति को नयी दिशा दी जाये.
शरद यादव से लेकर वाम नेता इस प्रयास में हैं कि शुरुआत इन्हीं दोनों राज्यों से हो लेकिन समस्या सीट बंटवारे को लेकर सिर फुटव्वल की है. उल्लेखनीय है कि बिहार में पिछले दिनों राजद नेता लालू यादव की रैली में बसपा ने इस मुद्दे को उठाया था. विपक्षी एकता की राह में क्षेत्रीय दलों की अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग सबसे बड़ी समस्या है. अगले वर्ष जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, में भाजपा की सरकारें हैं तो वहीं कर्नाटक और मेघालय में कांग्रेस की सरकार है. त्रिपुरा में माकपा सत्ता में है. आगामी चुनाव में भाजपा की नजरें जहां अपना किला बचाये रखने पर हैं वहीं असम में जीत के बाद वह मेघालय में भी काफी जोर लगा रही है.
विपक्ष के सामने भी चुनौती जहां अपने किले को बचाये रखने की है वहीं उसकी नजर छत्तीसगढ़, राजस्थान, और मध्य प्रदेश पर भी है.
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