सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से नेताओं के बारे में पूछा, सजायाफ्ता चुनाव लड़ें या नहीं
उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने संबंधी याचिका पर चुनाव आयोग के ढुलमुल रवैये को लेकर उसे कड़ी फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट |
शीर्ष अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग का रवैया स्पष्ट नहीं होने पर कहा, आप (आयोग) अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का समर्थन आप करते हैं या नहीं?
न्यायालय ने कहा कि आयोग ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि वह याचिका का समर्थन करता है? लेकिन अभी सुनवाई के दौरान आयोग कह रहा है कि वह आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी के पक्ष में नहीं है. आखिर रुख में इस तरह के विरोधाभासी बदलाव के मायने क्या हैं? शीर्ष अदालत ने कहा कि देश के एक नागरिक ने याचिका दाखिल की है और कहा है कि ऐसे लोगों पर आजीवन पाबंदी लगानी चाहिए, आयोग इसका समर्थन करता है या विरोध, जो भी है उसका जवाब हां या न में देना होगा.
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि यदि विधायिका उसे इस मुद्दे पर कुछ कहने से रोक रही है तो वह अदालत को बताए. दरअसल चुनाव आयोग ने हलफनामे में याचिका का समर्थन किया था, लेकिन सुनवाई के दौरान उसका कहना था कि इस मुद्दे पर विधायिका ही फैसला कर सकती है.
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