मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने छोड़ी लालबत्ती
मंत्रियों और अधिकारियों की कारों पर लगे लालबत्ती और पीलीबत्ती को सामंतवादी एवं शाही संस्कृति निरूपित करते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शुक्रवार को सदन में घोषणा की है कि नेता प्रतिपक्ष के नाते उन्हें हाल ही में मिली लालबत्ती वह शुक्रवार को ही वापस कर रहे हैं.
अजय सिंह ने छोड़ी लालबत्ती (फाइल फोटो) |
शून्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता सिंह ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश और पंजाब में मंत्रियों और अधिकारियों की कारों से लालबत्ती हटाई गई है, वैसे ही मध्य प्रदेश में भी लालबत्ती संस्कृति समाप्त कर दी जाय.
इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने तुरंत जवाब देते हुए उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
भार्गव ने कारों पर लालबत्ती का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में लालबत्ती हटाने के विचार आपके (अजय सिंह) दिमाग और विवेक में तब क्यों नहीं आया, जब मध्य प्रदेश में आपकी (कांग्रेस) सरकार थी.’’
इस पर सिंह ने बताया कि मैं पांच साल मंत्री रहा, लेकिन कभी भी मैंने अपनी कार में लालबत्ती नहीं लगाई.
बाद में विधानसभा परिसर के प्रेस कक्ष में अजय सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘मैंने विधानसभा में सरकार से मांग की है कि मध्य प्रदेश सरकार लालबत्ती एवं पीलीबत्ती संस्कृति समाप्त करे.’’
उन्होंने कहा कि मुझे दो-चार दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष होने के कारण लालबत्ती मिली है. मैं आज ही अपनी कार से लालबत्ती उतार दूंगा. मैं पहले भी अपनी कार में लालबत्ती नहीं लगाता था. मुझे लालबत्ती का कोई शौक नहीं है.’’
हालांकि, नीलीबत्ती लगाने का पक्ष लेते हुए सिंह ने बताया कि नीलीबत्ती बरकरार रहे.
जब उनसे सवाल किया गया कि लालबत्ती को कारों में क्यों नहीं लगाना चाहिए, तो इस प्रेस कान्फ्रेंस में उनके बगल में खड़े कांग्रेस विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने कहा, ‘‘लालबत्ती लगाकर अवैध रेत उत्खनन हो रहा है.’’
उनका इशारा नर्मदा एवं अन्य नदियों से होने वाले अवैध उत्खनन के बारे में था, जो कांग्रेस के अनुसार कथित तौर पर सरकार के संरक्षण में हो रहा है. हालांकि, राज्य सरकार इसका हमेशा खंडन करती रही है.
गौरतलब है कि हाल ही में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद सिंह ने यह भी घोषणा की थी कि जब तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में नहीं आयेगी, तब तक वह पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किसी भी कार्यक्रम में सम्मान के तौर पर पहनाई जाने वाली माला भी नहीं पहनेंगे.
मध्य प्रदेश में वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह से पटकनी देने के बाद भाजपा सत्ता में आई और तब से लगातार सत्ता में बनी हुई है.
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