राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जतायी आर्थिक वृद्धि दर का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा जताते हुए कहा कि मुद्रास्फीति की नीची दर, पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाता घाटा नियंत्रित रहने से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा.
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी (फाइल फोटो) |
श्री मुखर्जी ने इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद(ईईपीसी) की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार चढ़ाव को झेल लेगी. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग विनिर्माण उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है. सरकार के कार्यक्रम मेक इन इंडिया से इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है.
श्री मुखर्जी ने कहा कि मुद्रास्फीति की नीची दर बनी हुई है जिससे मांग में इजाफा होगा. देश में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है जिससे वैश्विक उतार चढ़ाव को झेला जा सकता है. इसके लिए चालू खाता घाटा नियंत्रित है. इसलिए चालू वित्त वर्ष में साढे सात प्रतिशत आर्थिक विकास दर का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी और भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर सात फीसदी रही है.
श्री मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक मंदी के दौर में भारत उन देशों में शामिल है, जो उम्मीद जगाते हैं. नीची मुद्रास्फीति दर, पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार, नियंत्रित चालू एवं वित्तीय घाटा और स्थिर कर नीति भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को बेहतर बनाती है. उन्होंने कहा कि उच्च विकास दर हासिल करने के लिए आधारभूत ढांचा क्षेा और कौशल विकास में भारी निवेश की आवश्यकता है.
अगले दस वर्ष का खाका पेश करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में इस अवधि में रोजगार के नौ करोड़ अवसर पैदा करने की क्षमता है. इसी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से बढकर 25 प्रतिशत हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम का लाभ उठाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने में सहयोग करना चाहिए और भारतीय मेधा तथा सस्ते श्रम का फायदा लेना चाहिए.
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