धर्मांतरण मुद्दे पर राज्यसभा में बवाल जारी, पीएम के जवाब पर अड़ा विपक्ष

Last Updated 19 Dec 2014 11:49:15 AM IST

जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग पर अड़े विपक्ष के चलते राज्यसभा में शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन भी हंगामा हुआ.


(फाइल फोटो)

धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आकर अपना जवाब देने की मांग को लेकर अड़े विपक्ष ने शुक्रवार को भी राज्यसभा में जबर्दस्त हंगामा किया जिसके कारण शून्यकाल नहीं हो सका और सदन की कार्यवाही दोपहर बारह बजे और फिर ढाई बजे तक के लिये स्थगित कर दी गयी.

सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति हामिद अंसारी ने गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठ (इसरो) के जीएसएलवी एमके 3 के सफल प्रक्षेपण को लेकर वैज्ञानिकों को बधाई दी. इसके बाद सम्बद्ध मंत्रियों के कागजात पटल पर रखने के बाद कांग्रेस के हनुमत राव ने संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू द्वारा उनके बारे में की गयी बयानबाजी को लेकर उन्हें माफी मांगने का मुद्दा उठाया.

हनुमत राव का कहना था कि पिछले दिनों सदन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में किसी भी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया था तो फिर वेंकैया नायडू ने उस दिन एक संवाददाता सम्मेलन में यह क्यों कहा कि मैंने प्रधानमंत्री के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमल किया है.

राव ने उप सभापति पी जे कुर्रियन से कहा कि वह सदन के रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं कि आखिर मैंने प्रधानमंत्री के बारे में क्या कहा था.

इस बीच कांग्रेस उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह गंभीर मामला है इसलिये उप सभापति को चाहिये कि वह राव की रक्षा करें. इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसी ने भी राव के खिलाफ न तो सदन में और न ही सदन के बाहर कोई बात कही है. हर दिन आप लोग कोई न कोई नया बहाना ढुंढते रहते हैं और सदन को बाधित करते रहते है. आखिर आप खुद को क्यों दोषी मान रहे हैं.

इसके बाद कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कुर्रियन से कहा कि आपने गुरुवार को कहा था कि सदन का रिकॉर्ड चेक कर बतायेंगे कि राव ने प्रधानमंत्री के बारे में किसी तरह की भाषा प्रयोग किया था. इसलिये अब आप सदन को यह बतायें.

इस बीच नकवी ने कुर्रियन के पास आकर उनके कान में कुछ कहा तो कुर्रियन ने कहा कि वेकैंया नायडू ने राव के खिलाफ सदन के बाहर बयानबाजी की है. इसलिये वह कुछ नहीं कर सकते.

तब मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य सीताराम येचुरी ने भी हनुमत राव के पक्ष में खड़े होकर कहने लगे कि यह संसद की गरिमा का सवाल है. इसलिये वेंकैया नायडू को सदन में आकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये.

इस बीच समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने नियम 259 के तहत व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुये कहा कि सभापति चाहे तो धर्मांतरण पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री को जवाब देने के लिये निर्देश दे सकते हैं लेकिन कुर्रियन का कहना था कि नियम 267 के तहत सदन में चर्चा के लिये प्रस्ताव पारित हुआ है और इस नियम के तहत वह प्रधानमंत्री को ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकते.

इस मुद्दे को लेकर दोनों के बीच नियमों की व्याख्या पर कुछ देर तक बहसबाजी हुई. उसके बाद माकपा के पी. राजीव ने कहा कि प्रधानमंत्री सभी मंत्रालयों के रक्षक हैं. इसलिये यह उनके अधिकार क्षेत्र में बनता है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा का जवाब दें. तब कुर्रियन ने विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को अपनी बात रखने को कहा.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाब देने से बच रहे हैं.

इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया इसके चलते राज्यसभा की बैठक 11 बज कर 35 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

एक बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक जब बारह बजे शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों ने धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग फिर दोहरायी. माकपा के पी राजीव और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं लिहाजा प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा शुरू की जानी चाहिये.

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि इसी सदन में कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था जिसे तोड़ा गया है और इस बारे में प्रधानमंत्री को सदन में आ कर जवाब देना चाहिए. ‘‘वह सदन में क्यों नहीं आते. वह बाहर बोलते हैं, सदन में आ कर क्यों नहीं बोलते.’’

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पूरा विपक्ष चर्चा चाहता है तो फिर प्रधानमंत्री इससे क्यों बचना चाह रहे हैं.

भाकपा के डी राजा ने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को, संसद और बाहर बने माहौल को देखते हुए सदन को इस पर चर्चा करनी चाहिए और फिर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिये.

सभापति ने कहा कि चर्चा शुरू की जा सकती है लेकिन सदस्य इसके लिए कोई शर्त नहीं रख सकते. उन्होंने कहा कि सदन की परंपरा है कि चर्चा का जवाब संबद्ध मंत्री देता है और अगर सदस्य जवाब से असंतुष्ट हैं तो इसे जाहिर करने के लिए एक प्रक्रिया है. इसका पालन किया जाना चाहिए.

शर्मा ने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री ने विपक्ष का आग्रह खारिज कर दिया है.

इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्ष यह तय नहीं करेगा कि चर्चा का जवाब कौन देगा. यह सरकार तय करेगी.

इसी बीच, कांग्रेस, सपा, जदयू और तृणमूल सदस्य प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे.

सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 12 बजकर करीब 10 मिनट पर बैठक को दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

उल्लेखनीय है कि धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब की मांग पर विपक्षी सदस्यों के अड़े रहने की वजह से राज्यसभा में चौथे दिन गुरुवार को भी कामकाज ठप रहा और सदन में मोदी की मौजूदगी के बावजूद गतिरोध खत्म नहीं हुआ. इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी.



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