मन की शांति और सफलता के लिए करें ध्यान

Last Updated 19 Jul 2013 08:53:48 PM IST

ध्यान से तनाव कम होता है और आंतरिक शांति मिलती है. चेहरे में क्रांति आती और सफलता कदम चुमती है.


ध्यान क्रिया (फाइल)

लंदन में हुए नये शोध में सिद्द हुआ है कि भारतीय प्राचीन परंपरा ध्यानक्रिया का अवसाद दुर करने के ईलाज में सफल इस्तेमान किया जा सकता है

आज के भागदौड़ के युग में तनाव और अवसाद होना बहुत आम बात है. तनाव आपकी जिन्दगी को मीठे जहर की तरह धीरे धीरे खत्म करता है.

ऐसे में आपकी मदद कर सकता है योग. प्राचीन भारतीय परंपरा में योग का बहुत महत्व है. ऋषि मुनियों ने ध्यान क्रिया से अपनी आयु को लम्बा ही नहीं करते थे बल्की शरीर को भी निरोगी रखते थे.

योग करने वालों को तनाव और अवसाद कम होता है. इसी भारतीय परंपरा को सिद्ध कर रहा है लास एंजेलिस में हुआ नया शोध जिसमें कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में खुलासा किया कि डिप्रैशन या अवसाद के इलाज के लिए ध्यानक्रिया का सफल इस्तेमाल किया जा सकता है.
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जो लोग 12 महीने से ज्यादा अर्से तक ध्यानक्रिया करते हैं उनमें अवसाद के लक्षण लगभग आधे हो जाते हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ध्यानक्रिया से तनाव कम होता है और आंतरिक शांति मिलती है.

जो लोग अवसादग्रस्त नहीं हैं लेकिन उनमें इसकी संभावना है, उन्हें भी ध्यानक्रिया से फायदा होता है.

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने अवसाद के 36 मरीजों पर अध्ययन किया था जबकि हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ह्रदय रोगों के खतरे वाले 112 मरीजों पर अध्ययन किया, इन मरीजों के अवसादग्रस्त होने की अधिक संभावना थी.

कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता हेक्टर मेयर्स कहते हैं कि अध्ययन से प्राप्त परिणाम उत्साहजनक हैं और अवसाद के इलाज पर ध्यानक्रिया का प्रभाव देखने की दिशा में और अधिक प्रयोग किए जा सकते हैं.

दोनों अध्ययनों में अवसाद के मरीजों और सामान्य लोगों को एक साल तक ध्यानक्रिया कराने के बाद इसका प्रभाव देखा गया.

शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य लोगों की अपेक्षा अवसादग्रस्त मरीजों में इसका अधिक फायदा दिखा.

अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि ध्यानक्रिया शुरू होने के तीन महीने के अंदर ही मरीजों में अवसाद के लक्षण आधे कम हो गए थे और एक साल तक चले इस इलाज से उनमें लगातार सकारात्मक परिणाम देखे गए.

इसी तरह ह्रदय रोगों के खतरे वाले मरीजों में तीन महीने के अंदर ही ध्यानक्रिया का पूरा लाभ दिखने लगा था. उनमें अवसाद के लक्षण केवल एक तिहाई ही रह गए थे.



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