स्टीम बाथ सेहत के लिए फायदेमंद
स्टीम बाथ से शरीर की थकान मिट जाती है. कमजोरी दूर होकर शरीर हल्का और चुस्त हो जाता है. रोम छिद्र खुल जाते हैं.
![]() स्टीम बाथ (फाइल) |
त्वचा के ऊपर कहीं भी विकार का संग्रह है वह पिघल कर निकल जाता है. शरीर की जकड़न दूर होकर अंगों में नस नाड़ियों में लचीलापन आ जाता है.
नकारात्मक शक्ति का नाश होकर सकारात्मक शक्ति का प्रादुर्भाव हो जाता है जो किसी भी रोग को ठीक करने में पूर्ण सहयोग देती है. शरीर में विजातीय द्रव्य जब ज्यादा ही घर कर लेते हैं. बाहर निकलने का नाम नहीं लेते हैं. साथ ही श्रमविहीन लोगों के रोम कूप निष्क्रिय हो जाते हैं.
ऐसी स्थिति में भाप का स्नान रोगी को देना चाहिए. कहावत है सौ स्नान पानी के एक स्नान पसीना का बराबर होता है. वैसे तो आजकल जगह-जगह हेल्थ सेंटर खुले हुए हैं. जहां पर स्टीम बाथ की बड़ी अच्छी व्यवस्थाएं बनी हुई हैं. आप वहां पर भी वाष्प स्नान का लाभ ले सकते हैं.
घर में ऐसे करें स्टीम बाथ
इस क्रिया को अगर आप घर पर करना चाहते हैं तो इसके लिए एक कुर्सी, दो कंबल, एक बाल्टी सादा पानी, एक मग, एक छोटा, गैस सिलेंडर, कुकर (पांच लीटर या उससे बड़ा), प्लास्टिक या रसोई गैस वाली पाइप दो मीटर ले लीजिए.
अब आप एक ग्लास सादा पानी या चिकित्सक के निर्देशानुसार, सूप या जूस पीलें. पुरुष कपड़े उतार कर बैठें. महिला ढीला गाउन पहन सकती हैं.
पांच लीटर वाले कुकर में एक लीटर पानी भर दें. उसमें रासना की पत्ती, गुलाब के फूल डाल दीजिए. कुकर की सीटी निकाल कर पाइप का एक सिरा सीटी वाले हिस्से में फिट कर दें.
गैस को जलाकर कुकर को चढ़ा दें. भाप आने लगे तो उसका प्रयोग करें. यदि आपके घर में पर्याप्त जगह है तो लकड़ी या प्लास्टिक का स्टीम चैम्बर बनवा लें अथवा एक आसान तरीका जो घरों में प्रयोग होता है.
एक लकड़ी की कुर्सी ले लें. जो तांत की बिनी हो. आप बैठ जाइए. ऊपर से एक कंबल आगे से एक कंबल पीछे से इस प्रकार ढकें कि बाहर की हवा अंदर न जा सके और अंदर की भाप बाहर न जा सकें. दस-बीस मिनट तक वाष्प पूरे शरीर में भरने दें.
नैपकीन भिगोकर सर पर रखें
एक छोटा नैपकीन पानी में भिगोकर सिर के उपर जरूर रखें. पूरे शरीर में भाप भरने के बाद अपने हाथों से अंदर ही अंदर पसीने की मालिश अपने शरीर में करते रहें.
निर्धारित समय के बाद आप बंद कर दें. कंबल हटा दें और सिर से पांच छह डिब्बे पानी भर कर डाल दें. तौलिया से बदन पोंछकर कपड़े बदल लें. यह आपका वाष्प स्नान हो गया. जो स्नान न करना चाहें तो पानी में नैपकीन भिगोकर पूरे शरीर को पोंछ लें या ठंडा कटि स्नान 10 मिनट का ले लें तो चमत्कारिक परिणाम देखनें में आयेंगे.
रोगी न लें स्टीम बाथ
रक्तचाप, हृदय रोगी, टीबी, दमा, एसिड अल्सर, खाज, खुजली, चर्मरोग, कुष्ठरोग, कैंसर जैसे रोगी भाप स्नान न लें. स्टीम बाथ किसी योग्य चिकित्सक की सलाह से लें. स्टीम बाथ से पूर्व सादा जल का सेवन अवश्य करें. यह स्नान हफ्ते में एक या दो बार से ज्यादा नहीं लेना चाहिए.
स्थानीय भाप रोज ले सकते हैं. स्टीम बाथ करते समय ठंडे पानी से भीगा एक नैपकिन सिर के ऊपर अवश्य रखें. स्टीम बाथ बंद कमरे में करना चाहिए.
स्टीम बाथ लेने के बाद शरीर को ठंडे, भीगे तौलिए से पोंछ देना चाहिए या एक दो डिब्बे सादा जल सिरे से डाल देना चाहिए. उसके बाद सूखे वस्त्र धारण कर लेना चाहिए. स्टीम बाथ के दो घंटे बाद ही भोजन करें. हल्का पेय एक घंटे बाद ले सकते हैं.
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