चक्कर आने की वजह 90 फीसदी कान की गड़बड़ी
कान बेहद संवेदनशील अंग होता है जितने लोगों को चक्कर आते हैं, उसमें 90 प्रतिशत कारण कान की गड़बड़ी होती है.
कान (फाइल) |
कान साफ करने के लिए अकसर कई लोग या झोलाछाप डॉक्टर स्प्रिट और हाइड्रोजन पैराऑक्साइड का प्रयोग करते हैं लेकिन ये नुकसानदायक हो सकता है और कान साफ होने की जगह कान को बीमार बना सकता है. चाहे कान का दर्द हो या पस, लोग इन्हें हल्के में लेते हैं.
बच्चों के कान के पर्दे के पीछे भी पानी भर जाना आम बात है. इस समस्या को भी मां-बाप गंभीरता से नहीं लेते. यह जानकर आश्चर्य होगा कि जितने लोगों को चक्कर आते हैं, उसका 90 प्रतिशत कारण कान की गड़बड़ी है.
कान सुनने के साथ ही शरीर को संतुलित रखने का भी काम करते हैं. कभी-कभी कानों से निकलने वाला पस कान की हड्डियों को गला देता है, जिससे पस ब्रेन में चला जाता है. इससे दिमागी बुखार या ब्रेन फीवर हो जाता है. यह खतरनाक हो जाता है.
जरूरी है कि कानों को समय-समय पर खुद साफ करते रहें. बच्चों के कान को चेक करते रहें. अगर बच्चे कान में दर्द की शिकायत करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
बीमारियां--- जन्मजात बहरापन, कान में वैक्स बनना, कान के पर्दे में छेद होना, कान की बीमारी के कारण चक्कर आना, बच्चों के कान के पर्दे के पीछे पानी भर जाना, इसे ग्लूइयर कहते हैं.
लक्षण--- खुजली होना पस बनना पानी भरना कान में गंदगी होना कम सुनाई देना कारण कान के अंदर एक प्रकार का ऑयल बनता रहता है, जिसे सिटोमिन कहते हैं. यह कान की गंदगी को बाहर निकालने का काम करता है. अगर कान में सिटोमिन बनना कम या बंद हो जाता है तो कान में गंदगी जमनी शुरू हो जाती है, जिसे वैक्स कहते हैं.
वैक्स के सूखने से कान में सड़न और पस बनना शुरू हो जाता है. अगर इसमें लापरवाही होती है तो पीड़ित को कम सुनाई देने लगता है. वहीं कान के पर्दे में छेद हो जाता है. बुखार और दूसरे प्रकार के संक्रमणों से भी कान के पर्दे में छेद हो जाता है. संक्रमण के बाद से जुकाम होने पर पस बनने लगता है.
इलाज कान की हर बीमारी का इलाज संभव है. यहां तक कि सर्जरी कर कान के पर्दे के छेद को भी ठीक किया जाता है. कान के पर्दे के छोटे छेद को दवा से भी ठीक किया जा सकता है.
जन्म से बहरे बच्चों का भी इलाज संभव हो गया है. इस तकनीक को कॉकलियर इंप्लांट कहते हैं. अगर बच्चे के जन्म के तीन-चार साल में यह पता चल जाए कि बच्चे को सुनाई नहीं देता है तो इस ऑपरेशन के बाद वह सामान्य बच्चों की तरह सुनने लगेगा. यह ऑपरेशन उत्तर प्रदेश में केवल सहारा अस्पताल में किया जाता है.
बचाव--- नियमित रूप से कानों की सफाई कराते रहें. बच्चे का विशेष ख्याल रखें. अगर वे कान में दर्द या खुजली की शिकायत करते हैं तो गंभीरता से लें. सफाई के लिए रुई को पानी से गीलाकर मुलायम बना लें. इसके बाद सफाई करें. कान में स्प्रिट और हाइड्रोजन पैराऑक्साइड का प्रयोग बिल्कुल न करें. इससे कान पकने की संभावना बढ़ जाती है. कान में कोई समस्या हो तो तुरंत ई एनटी सर्जन से संपर्क करें.
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