कम्प्यूटर गेम जला दे दिमाग की बत्ती

Last Updated 17 May 2013 05:14:00 PM IST

कम्प्यूटर गेम खेलने से बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ती है. इससे हौसले बढ़ते हैं और उनमें नई-नई चीजों के प्रति दिलचस्पी जगती है.


कम्प्यूटर गेम (फाइल)

पैरेंट्स की यह आम शिकायत है कि उनके बच्चे कम्प्यूटर गेम में अपना काफी समय बर्बाद करते हैं. पर क्या इसे समय की बर्बादी कहना सही है? पैरेंट्स तो यही कहेंगे कि हां! इन गेम्स का कोई लाभ नहीं बल्कि ये दिमाग पर बुरा असर डालते हैं लेकिन क्या यह सोच सही है?

यह सच है कि गेम की दुनिया में वर्ल्ड ऑफ वार क्राफ्ट, एक्स बॉक्सेज, प्ले स्टेशन, विस और रन स्केप जैसे गेम्स को मेंटल डिसऑर्डर पैदा करने वाला पाया गया है.

इसी तरह कुछ गेम बच्चों में हिंसक और गुस्सैल प्रवृत्ति को विकसित करते हैं लेकिन इधर हुए कई शोधों का आकलन है कि कुछ चुनिंदा गेम्स को छोड़ दें तो यह मानना सही होगा कि इनसे पर्सनालिटी डेवलपमेंट में काफी मदद मिलती है.

इससे बच्चों का न केवल भावनात्मक विकास होता है बल्कि उनमें मैनेजमेंट स्किल से लेकर टीम वर्क की भावना तक विकसित होती है.
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सीखते हैं तेजी से अमेरिका के बूनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्पोर्ट्स एंड एजुकेशन के शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर ऑनलाइन गेम निरंतर खेले गए तो इससे बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ती है.

उनमें एक ही उद्देश्य के लिए मिलजुल कर काम करने की अंडरस्टैंडिंग बढ़ती है. इन शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि ऑनलाइन गेम के सोशल नेटवर्क से युवाओं में मैनेजमेंट स्किल बढ़ती है.

यह स्किल उन्हें तमाम समस्याओं से निपटने में मदद करती है. मूड रखता है फ्रेश इसी तरह कनाडा के टोरंटो स्थित स्टडीज इन मीडिया एंड इनफॉर्मशन लिटरेसी एजुकेशन ने भी अपने अध्ययन में पाया कि ऑनलाइन गेम मूड को फ्रेश रखने में सहायक हैं.

इनके जरिये बोरियत और तनाव से भी बचा जा सकता है. न्यूयॉर्क की रोचेस्टर यूनिवर्सिटी का अध्ययन तो यहां तक कहता है कि इससे हौसले बढ़ते हैं और उनमें नई-नई चीजों के प्रति दिलचस्पी जगती है. साथ ही, उनमें आजादी की भावना पैदा होती है और वे समाज से अपना जुड़ाव भी गहराई से महसूस करते हैं.\"\"

निश्चित दिशा में काम की प्रेरणा इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट ने भी अपने अध्ययन में पाया है कि ऑनलाइन गेम्स के जरिये एक निश्चित दिशा में काम करने की प्रेरणा मिलती है.

इंस्टीट्यूट का यह भी आकलन है कि इसके जरिये अलग-अलग स्वभाव के लोगों के साथ काम करने में सहूलियत होती है. फिर जो गेम खेलने के आदी हैं उनमें नेतृत्व करने की भावना भी प्रबल होती है.

दर्द भुलाने में मददगार न्यूयॉर्क में एडवांस्ड मेडिकल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉ. जेम्स रोसर ने हाल ही में एक शोध पत्र आर्काइव ऑफ सर्जरी में बताया कि गेमिंग और लपारोस्कोपिक सर्जरी में काफी समानता है.

ऑनलाइन गेम खेलने वाले सर्जन अपना काम करने में अपने सहयोगियों की तुलना में काफी तेज होते हैं. इसी तरह अमेरिका के व्हीलिंग जेसूट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ब्रायल रॉडनबुश ने खुलासा किया है कि वीडियो गेम खेलने से मरीज या फिर किसी भी इंसान को अपना दर्द भुलाने में काफी मदद मिलती है.

गेम की तुलना शतरंज से दरअसल यह पुरानी सोच है कि गेम नुकसानदेह हैं. हां! यह जरूर है कि गेम की लत तमाम अन्य लतों की तरह ही बुरी चीज है. यह बात अब बड़ी-बड़ी कंपनियां भी समझ रही हैं क्योंकि कई कंपनियों में चीफ गेमिंग ऑफिसर के पद पर ही नियुक्ति हो रही है.

साइकोलॉजिस्ट तो अब गेम की तुलना शतरंज से करने लगे हैं. दोनों के लिए रणनीति बनानी होती है और दोनों में दिमाग के न्यूरॉन अधिक सक्रिय होते हैं. रही बात समय की तो इसका भी विशेषज्ञों के पास जवाब है.

मनोचिकित्सक डॉ. नीलेश का कहना है कि 45 मिनट से एक घंटे तक गेम खेलना अच्छा है तो पैरेंट्स कम से कम इतनी देर तो अपने बच्चों को आप गेम खेलने दे ही सकते हैं.



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