बढ़ती उम्र की समस्याओं को दूर करने के लिए बेहतरीन आसन है अर्ध मत्स्येन्द्रासन
जैसे उम्र बढ़ती चली जाती है वैसे ही कई समस्याएं भी अपने साथ ले आती है। योग और आसन एक ऐसा समाधान है जो बढ़ती उम्र की समस्याओं को दूर कर सकता है।
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बता दें योग का एक ऐसा ही आसन है अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana), इस आसन के रोजाना अभ्यास करने से कब्ज, दमा और पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलना संभव है। यह आसन एड्रिनल ग्रंथि के लिए फायदेमंद माना जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन एक ऐसा योगासन है जो रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और साथ ही पाचन में भी सुधार करता है।
इस आसन को करने का आसान और बढ़िया तरीका है, यह आसन बैठकर किया जाता है। इसमें शरीर एक तरफ मुड़ता है जिससे रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा होता है। नतीजतन गर्दन के आसपास की नसें भी स्ट्रेच होती हैं। इससे ब्रेन टिश्यू में ब्लड फ्लो अच्छा होता है और इस वजह से तनाव दूर होता है। ब्रेन पावर भी तेजी से बढ़ता है।
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, अर्ध मत्स्येन्द्रासन आसन वरिष्ठ नागरिकों के लिए फायदेमंद माना गया है; यह उनकी एड्रिनल ग्रंथि की स्थिति में सुधार लाता है। आसन कब्ज, दमा और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह आसन करने से पहले योग विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि सही तरीके से आसन करने की जानकारी मिल सके।
नियमित रूप से इस आसन के अभ्यास से लिवर, किडनी और आंतों की हल्की मालिश होती है। यह आसन पैनक्रियाज को एक्टिव करने में मदद करता है, वहीं इसके नियमित अभ्यास से डायबिटीज कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।
आज के समय में डायबिटीज एक आम समस्या है, तो ऐसे में यह आसन मरीजों के लिए भी फायदेमंद है और राहत के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
हेल्थ एक्सपर्ट इसे सही तरह से करने की विधि भी बताते हैं। इसके लिए सबसे पहले दंडासन की मुद्रा में बैठना चाहिए और एक पैर को मोड़ लेना चाहिए। रीढ़ को सीधा और कंधों को सीधा रखना चाहिए। दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और दाएं पैर की एड़ी को बाएं नितंब के पास रखें, ताकि पैर का तल जमीन को स्पर्श करे। इसके बाद बाएं पैर को मोड़ें और उसे दाएं घुटने के ऊपर से ले जाकर दाएं पैर के बाहर जमीन पर रखें। बाएं पैर का तल जमीन पर पूरी तरह टिका होना चाहिए।
सिर को दाईं ओर घुमाएं और कंधे की दिशा में देखें। इस दौरान सामान्य गहरी सांस लेनी चाहिए। आसन में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहना चाहिए। ध्यान रीढ़ की हड्डी और सांस पर केंद्रित करना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे आसन से बाहर आ, प्रारंभिक स्थिति में लौटना चाहिए।
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