Chaitra Chhath 2022: नहाय–खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व चैती छठ

Last Updated 05 Apr 2022 12:00:11 PM IST

लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान चैत्र शुक्ल चतुर्थी मंगलवार को नहाय–खाय से शुरू हो गया है।


नहाय–खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ

चैती छठ व्रत पूवाचंल और उत्तर भारत सहित देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। यह महापर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है।

छठ पूजा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्यदेव की बहन हैं। छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठी माता प्रसन्न होतीं हैं तथा परिवार में सुख‚ शांति व धन–धान्य से परिपूर्ण करती हैं।

इस व्रत को करने वाले श्रद्धालु गंगा‚ पवित्र नदी‚ जलाशय या अपने घरों में गंगाजल मिलाकर स्नान‚ पूजा के बाद प्रसाद के रूप में अरवा चावल‚ सेंधा नमक से निर्मित चने की दाल‚ लौकी की सब्जी‚ आंवले की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस अनुष्ठान का संकल्प लेंगे।

महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद संध्या में खरना का पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं। खरना पूजा के बाद से व्रती का करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और पकवान (ठेकुआ) से अर्घ्य अर्पित करते हैं।

महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।

 

चैती छठ पर बना ग्रह–गोचरों का शुभ संयोग
भारतीर ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग के अलावा रवियोग एवं अति पुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग के शुभ संयोग में नहाय–खाय के साथ चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार से शुरू हो रहा है।

छह अप्रैल को रोहिणी नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग में व्रती पूरे दिन निराहार रह कर संध्या में खरना का पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरना पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा।

चैत्र शुक्ल षष्ठी गुरुûवार को रवियोग में भगवान सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य तथा शोभन योग में व्रती शुक्रवार को प्रातःकालीन अर्घ्य देकर पूरे तप और निष्ठा के साथ इस महाव्रत को पूर्ण करेंगी।


स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है छठ

प्रमुख ज्योतिष विद्वान आचार्य राकेश झा ने कहा कि इस मौसम में शरीर में फॉस्फोरस की कमी होने के कारण शरीर में रोग (कफ‚ सर्दी‚ जुकाम) के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। प्रकृति में फॉस्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। जिस दिन से छठ व्रत शुरू होता है उसी दिन से गुड़ वाले पदार्थ का सेवन शुरू हो जाता है। खरना में चीनी की जगह गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है। साथ ही ईख‚ गागर एवं अन्य मौसमी फल का प्रसाद के रूप प्रयोग किया जाता है।

पंडित झा के अनुसार वैदिक मान्यता है कि खरना के प्रसाद से पुत्र की प्राप्ति होती है‚ वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि अरवा चावल‚ सेंधा नमक‚ चने की दाल‚ लौकी‚ आंवले के सेवन से गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस‚ गुड़ के सेवन से त्वचा रोग‚ आंख की पीड़ा समाप्त हो जाती है। इसके प्रसाद से तेजस्विता‚ निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।

 

समय लाईव डेस्क
नई दिल्ल


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