विश्व हृदय दिवस: लाइफस्टाइल में लाएं बदलाव, दिल को ऐसे रखें दुरुस्त

Last Updated 29 Sep 2020 12:27:04 PM IST

पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरूकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालने के मकसद से दुनियाभर में हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।


हृदय  रोग के कारण: धमनियों के भीतर प्लैक का जमनाः मनुष्य के दिल के पास की धमनियों में धीरे–धीरे प्लैक जम जाता है। प्लैक इन नसों को संकरा बना देता है जिनसे होकर बहने वाले ब्लड का प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत आती है॥।

आर्टरी का बंद होनाः धीरे–धीरे प्लैक इतना जम जाता है कि खून का प्रवाह इन धमनियों में रु क जाता है। इन परिस्थितियों में हार्ट अटैक आ सकता है और मनुष्य की जान जा सकती है।

ऑक्सीजन की कमी होनाः
हार्ट को जितनी जरूरत ब्लड और ऑक्सीजन की होती है‚ धमनी बंद होने के कारण वे उसे मिल नहीं पाते हैं। इससे हमारा हार्ट ऑक्सीजन पाने के लिए संघर्ष करता है और सांस लेने में परेशानी होती है।

सहारा हास्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट ड़ा. वीके तिवारी ने बताया कि कार्डियोस्कुलर बीमारी विशेषकर कोरोनरी हृदय संबंधी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। विश्व हृदय  दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व के लोगों को कैसे हृदयाघात से बचाया जाए। इससे बचने के लिए क्या–क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं। हृदय रोग से बचने के लिए जागरूक रहने की आवश्यकता है॥।

हार्ट अटैक के कारण पर लोगों की अलग–अलग राय हो सकती है पर ये सच है कि आजकल की आधुनिक जीवनशैली‚ गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या लोगों को हार्ट का मरीज बना रहा है जो असमय मौत का कारण बनता है। वसा युक्त भोजन‚ फास्ट फूड़ और जंक फूड़ का सेवन‚ शराब का अत्यधिक सेवन और इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना और व्यायाम न करना भी दिल का मरीज बनाने का बहुत बड़ा कारण है। जो लोग पहले इन सब बातों पर ध्यान नहीं देते हैं वे दिल के मरीज बनने के बाद खानपान से लेकर हर चीजों पर ध्यान देते हैं इसीलिए पहले ही ध्यान दे दिया जाए तो दिल के मरीज बनने से बचा जा सकता है।

सहारा हास्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट ड़ा. गौतम स्वरूप ने बताया कि जब भी आप थकान महसूस करें‚ सांस लेने में असहजता महसूस करें‚ सीने में असहज लगे‚ चक्कर आने जैसा महसूस हो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। डाक्टर आपकी पूरी चिकित्स्कीय जांच कर उचित परामर्श दे देगा जिससे किसी भी समस्या का निराकरण हो सकता है। इसमें देरी और लापरवाही ठीक नहीं है। उन्होंने बताया की हृदय रोग न हो इसके बचाव के लिए वजन नियंत्रित व कम रखें‚ धूम्रपान न करें‚ कम वसायुक्त भोजन करें‚ हरी सब्जी और फल का उपयोग करें‚ प्रतिदिन आधा से एक दिन व्यायाम करें। साथ ही ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें॥।

पहले अमूमन 40 की उम्र में होने वाले लोग इस अटैक की गिरफ्त में आते थे लेकिन अब 25-30 साल के युवा भी आ रहे हैं। मोटापा‚ तनाव‚ ब्लड प्रेशर भी हार्ट अटैक के कारक बन रहे हैं। अगर आपके रिश्ते अपने जीवनसाथी के साथ सही नहीं रहते हैं तो आपको हार्ट अटैक का खतरा आम लोगों से ज्यादा रहता है।

आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में प्रति वर्ष दिल के दौरे से एक करोड़ से भी अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से 50 फीसद लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। सामान्य लक्षणों के बगैर होने वाले हार्ट अटैक को ‘साइलेंट हार्ट अटैक' कहा जाता है। हार्ट अटैक आने पर पहले का एक घंटा काफी महत्वपूर्ण होता है। उस समय नजदीक के अस्पताल जाएं और डाक्टर से परामर्श लें। हार्ट अटैक के बाद समयपूर्वक की गई एंजियोप्लास्टी से बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

सहारा हास्पिटल में यह सुविधा 24  घंटे उपलब्ध है। सहारा हास्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलजिस्ट डा. आरके मिश्रा ने बताया कि अब यह बीमारी न केवल वृद्धों में बल्कि युवाओं में भी बहुत देखने को मिल रही है। इससे होने वाली मृत्यु अब युवा वर्ग में भी देखी गई है। वर्तमान परिप्रक्ष्य में जरूरी है कि लोगों के मध्य इस बीमारी के जोखिम से बचने के लिए उचित जीवनचर्या व धूम्रपान मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें।

‘विश्व हृदय दिवस' पर सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि सहारा हास्पिटल में हार्ट का विभाग सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है। पिछले 11 वर्षो से सहारा हास्पिटल हृदय की हर जटिल बीमारी का इलाज सफलतापूर्वक करता आ रहा है।
 

सहारा न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ


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